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सबको सिर्फ सस्ता प्याज चाहिए

 

किसानों का दर्द कौन सुनेगा

 

जब किसान 3 से 8 रुपये प्रति किलो तक पर प्याज बेचने का मजबूर था तब घाटे की भरपाई के लिए सरकार ने एक भी रुपये की मदद नहीं की, लेकिन अब दाम बढ़ते ही उसे घटाने की जुगत में जुट गई: दिघोले

 

पिछले महीने 13 अक्टूबर को महाराष्ट्र में प्याज का दाम 4393 रुपये प्रति क्विंटल तक की ऊंचाई पर पहुंच गया था.

लेकिन अब यह लगभग 1500 रुपये क्विंटल तक गया है.

बुधवार को पुणे मंडी में सबसे बेहतरीन किस्म के प्याज का अधिकतम दाम 2900 रुपये क्विंटल था.

सवाल ये है कि आखिर अचानक इतना दाम कैसे घट गया.

महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि सरकार और जनता सबको सिर्फ सस्ता प्याज चाहिए.

सब चाहते हैं कि कुछ भर करो कैसे भी करो प्याज का दाम गिराओ, बाकी गैस सिलेंडर, डीजल, पेट्रोल, खाद और दवा कुछ भी महंगा हो जाए सब चलेगा.

 

दिघोले का कहना है कि प्याज का दाम अचानक इतना गिरने के पीछे सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं. कुछ व्यापारी प्याज इंपोर्ट कर रहे हैं.

उसकी अनुमति सरकार दे रही है. ऐसा लगता है कि प्याज की महंगाई ही सरकार को परेशान करती है.

बाकी पर उसे कोई दिक्कत नहीं है. डीजल, खाद, सीड और सिंचाई की लागत में भारी वृद्धि हो चुकी है.

फिर 35-40 रुपये प्रति किलो से कम पर प्याज बेचने पर किसानों को क्या मिलेगा.

 

तब कहां थी सरकार?

दिघोले का कहना है कि पहले लॉकडाउन के दौरान यानी 2020 में पांच महीने तक महाराष्ट्र के किसानों ने 3 से 8 रुपये किलो तक के दाम पर प्याज बेचा है.

जबकि जब 16 रुपये लागत आती थी. तब तो सरकार सामने नहीं आई थी कि किसानों के घाटे की भरपाई कर दे.

किसी किसान को एक रुपये की भी मदद नहीं मिली थी. लेकिन जैसे ही रेट बढ़ता है, सरकार उसे नीचे लाने की कोशिश शुरू कर देती है.

 

प्याज के दाम की पॉलिसी नहीं बनी

दिघोले का कहना है कि सरकार प्रति क्विंटल प्याज की लागत निकाल ले और उस पर मुनाफा जोड़कर इसका एक दाम तय कर दे.

ताकि किसानों को नुकसान न हो. वरना किसान परेशान होते रहेंगे.

हम स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, लेकिन आज तक प्याज को लेकर कोई पॉलिसी नहीं बनी.

जबकि देश के बड़े हिस्से में प्याज की खेती होती है. महाराष्ट्र के तो ज्यादातर किसान इसी पर निर्भर हैं.

 

किसानों को क्यों न मिले अच्छा दाम

दिघोले ने बताया कि 3 नवंबर को पुणे मंडी में प्याज का न्यूनतम दाम 1400 रुपये एवं मॉडल प्राइस 2500 प्रति क्विंटल रहा.

इतने दाम पर किसानों को घाटा ही होगा. क्योंकि किसानों का 50 फीसदी से अधिक प्याज तो इस साल स्टोरेज में नमी से खराब हो गया.

अप्रैल से उसे रखने की लागत अलग. खराब प्याज की छंटाई के लिए लेबर का खर्च अलग.

ऐसे में या तो सरकार नुकसान की भरपाई करे या फिर वो किसी भी व्यापारी को प्याज का इंपोर्ट न करने दे.

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