किसानों को जैविक फसलों की मिल रही है अच्छी कीमत

बीते कुछ वर्षों में देश और दुनिया में जैविक उत्पादों की माँग बढ़ी है जिससे जैविक तरीके से खेती करने वाले किसानों को इसकी अच्छी कीमत मिल जाती है। हालाकीं जैविक खेती करने में तो किसानों की रुचि बढ़ी है पर फिर भी अभी बहुत से किसानों ने इसका पंजीकरण नहीं कराया है जिसके चलते किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम नहीं मिल पा रहा है।

जिसको देखते हुए किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा किसानों को जैविक प्रमाणीकरण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

 

जैविक प्रमाणीकरण के लिए बढ़ा किसानों का रुझान

एमपी के जबलपुर में किसान अब जैविक खेती अपनाने के साथ-साथ उसका प्रमाणीकरण भी कराने लगे हैं।

जैविक खेती कर रहे किसानों को अब यह बात समझ में आने लगी है कि बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुये उनके उत्पादों की स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर तक पहुँच बनाने के लिये तथा अच्छी कीमत प्राप्त करने के लिये उनकी कृषि भूमि का जैविक प्रमाणीकरण होना जरूरी है।

 

1700 से अधिक किसान कर रहे हैं जैविक खेती

आत्मा के परियोजना संचालन डॉ. एस.के. निगम के मुताबिक जबलपुर जिले में कई किसान प्राकृतिक जैविक खेती कर रहे हैं किन्तु अभी तक उनकी रुचि अपनी कृषि भूमि के जैविक प्रमाणीकरण में नहीं थी।

कृषि अधिकारियों द्वारा जैविक खेती कर रहे किसानों को जैविक प्रमाणीकरण से होने वाले फायदों की जानकारी दिये जाने पर उनका रुझान अब इस ओर बढ़ने लगा है।

परियोजना संचालक ने बताया कि जिले में फिलहाल 1 हजार 780 किसान जैविक खेती कर रहे हैं।

इनमें से 9 किसान अपनी कृषि भूमि का जैविक प्रमाणीकरण करा भी चुके हैं।

इन किसानों के उत्पादों को मिल रही अच्छी कीमत को देखते हुये पिछले वर्ष दो तथा इस वर्ष तीन और किसानों ने जैविक प्रमाणीकरण के लिये आवेदन दिया है।

 

इस तरह होता है जैविक प्रमाणीकरण

परियोजना संचालक आत्मा डॉ. निगम के मुताबिक कृषि भूमि के जैविक प्रमाणीकरण की प्रक्रिया तीन वर्ष में पूर्ण होती है।

इस दौरान यह देखा जाता है कि जैविक खेती में प्रतिबंधित आदानों का तथा प्रतिबंधित प्रक्रिया का इस्तेमाल तो नहीं किया गया है।

इसके साथ ही उत्पादन, प्रसंस्करण और भंडारण आदि का भी तय मानकों के आधार पर प्रतिवर्ष निरीक्षण किया जाता है और इन सब पर खरे उतरने के बाद ही जैविक कृषि कर रहे किसान को उसकी कृषि भूमि का जैविक प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है।

डॉ. निगम ने बताया कि जैविक प्रमाणीकरण के बाद किसान अपने जैविक उत्पादों पर मध्यप्रदेश जैविक प्रमाणन संस्थान द्वारा जारी रजिस्ट्रेशन नम्बर और “mpsoca” लोगो का इस्तेमाल कर सकता है।

यह मार्क जैविक उत्पादों की शुद्धता की गारंटी होता है।

 

जैविक प्रमाणीकरण के लिए किसान यहाँ करें संपर्क

परियोजना संचालक आत्मा के मुताबिक जैविक प्रमाणीकरण के लिये शुक्रवार को हृदय नगर के कृषक जयराम केवट के खेत का अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन, डॉ. इंदिरा त्रिपाठी द्वारा किये गये निरीक्षण के दौरान अनुविभागीय अधिकारी कृषि सिहोरा मनीषा पटेल, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जे.एस. राठौर, कृषि विकास अधिकारी बृषभान अहिरवार भी उपस्थित रहे।

उन्होंने बताया कि जैविक प्रमाणीकरण हेतु इच्छुक कृषक अपने से संबंधित विकासखंड के आत्मा कार्यालय, अनुविभागीय अधिकारी कृषि कार्यालय अथवा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यालय में संपर्क कर प्रक्रिया जान सकते हैं।

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