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ब्रोकली की खेती से किसानों को हो रहा लाखों का मुनाफा

सफल खेती का सही तरीका

 

स्वास्थ्य के प्रति सचेत लोग इसका जमकर सेवन करते हैं.

यही कारण है कि इसकी शहरी बाजारों में काफी मांग रहती है और खेती करने वाले किसान इससे अच्छी कमाई करते हैं.

 

ब्रोकली एक विदेशी सब्जी है, भारत में इसे बड़े-बड़े मॉल्स और बाजारों में बेचा जाता है. इसकी सब्जी लोग बड़े चाव से खाते हैं.

स्वास्थ्य के प्रति सचेत लोग इसका जमकर सेवन करते हैं.

यही कारण है कि इसकी शहरी बाजारों में काफी मांग रहती है और खेती करने वाले किसान इससे अच्छी कमाई करते हैं.

ब्रोकली की खेती के लिए नर्सरी तैयार करने का ये उचित समय है.

तो आइये जानते है ब्रोकली की खेती के कुछ खास बिन्दु और इसकी बुवाई का सही तरीका.

 

ब्रोकली एक विदेशी सब्जी है, भारत में इसे बड़े-बड़े मॉल्स और बाजारों में बेचा जाता है. इसकी सब्जी लोग बड़े चाव से खाते हैं.

स्वास्थ्य के प्रति सचेत लोग इसका जमकर सेवन करते हैं.

यही कारण है कि इसकी शहरी बाजारों में काफी मांग रहती है और खेती करने वाले किसान इससे अच्छी कमाई करते हैं.

ब्रोकली की खेती के लिए नर्सरी तैयार करने का ये उचित समय है.

तो आइये जानते है ब्रोकली की खेती के कुछ खास बिन्दु और इसकी बुवाई का सही तरीका.

 

उपयुक्त मिट्टी व जलवायु

ब्रोकली की फसल की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अच्छी उपज के लिए उच्च कार्बनिक पदार्थ वाली रेतीली दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है.

ब्रोकली की खेती के लिए 18 से 23 डिग्री के बीच का तापमान बेहतर माना जाता है. इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु अच्छी मानी जाती है.

 

फसल का सही समय

ब्रोकोली को उत्तर भारत के मैदानी भागों में जाड़े के मौसम में यानि सितंबर मध्य के बाद से फरवरी तक उगाया जा सकता है.

सितम्बर मध्य से नवम्बर के शुरू तक पौधा तैयार किया जा सकता है, बीज बोने के लगभग 4 से 5 सप्ताह में इसकी पौध खेत में रोपाई करने योग्य हो जाती है.

इसकी नर्सरी ठीक फूलगोभी की नर्सरी की तरह तैयार की जाती है.

 

ब्रोकली उगाने का सबसे अच्छा तरीका

अपनी ब्रोकली को ऐसी जगह लगाएं जहां उसे रोजाना कम से कम 6 घंटे की धूप मिले और वहां उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली, भरपूर कार्बनिक पदार्थों वाली नम मिट्टी हो.

मल्च जमीन को ठंडा और नम रखने में मदद करेगा.

सर्वोत्तम वृद्धि के लिए और क्लबरूट रोग को हतोत्साहित करने के लिए मिट्टी का पीएच 6.0 और 7.0 के बीच होना चाहिए.

उन्नत किस्में

ब्रोकली की किस्में मुख्यत: सफेद, हरी व बैंगनी होती हैं.

इनमें हरे रंग की किस्में लोगों द्वारा अधिक पसंद की जाती है, यह काफी गुणकारी सब्जी है.

ब्रोकली की नाइन स्टार, पेरिनियल, इटैलियन ग्रीन स्प्राउटिंग या केलेब्रस, बाथम 29 और ग्रीन हेड प्रमुख किस्में हैं.

पूसा ब्रोकली, केटीएस 01, पालम समृद्धि, पालम कंचन और पालम विचित्रा भारत में उगाई जाने वाली ब्रोकली की प्रमुख प्रजातियां हैं.

आप चाहें तो संकर किस्म की खेती भी कर सकते हैं.

संकर किस्मों में पाईरेट पेक में, प्रिमिय क्रॉप, क्लीपर, क्रुसेर, स्टिक व ग्रीन सर्फ़ मुख्य रूप से शामिल हैं.

 

रोपाई

एक हेक्टेयर खेत के लिए 100 किलो नाइट्रोजन, गोबर की सड़ी खाद 50-60 टन और 60 किलो फॉस्फोरस की जरूरत होती है.

रोपाई से पहले गोबर और फॉसफोरस खादों को अच्छी तरह मिट्टी में मिला लें.

नाइट्रोजन की खाद को 2 या 3 भागों में बांटकर रोपाई के क्रमश: 25, 45 तथा 60 दिन बाद प्रयोग करना चाहिए.

एक हेक्टेयर खेत में ब्रोकली बोने के लिए 400 से 500 ग्राम बीज की जरूरत होती है.

पौध तैयार होने के बाद पहले से तैयार खेत में ले जाकर रोप दें.

रोपाई के समय कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौध से पौध के बीच का फासला 30 सेंटीमीटर रखना होगा.

 

सिंचाई

10 से 12 दिन के अंतराल पर ब्रोकली को पानी देना होता है.

पहली दो सिंचाई के बाद निराई-गुड़ाई कर के खर-पतवार जरूर निकाल दें.

इनकी खेती वाले खेत को साफ रखना जरूरी होता है.

खेत में सिंचाई के समय पानी इकट्ठा न होने दें, क्योंकि खेत में अधिक पानी जमा होने पर ब्रोकली की फसल खराब हो सकती है.

 

पैदावार

ब्रोकली में फल जब सामान्य आकार का हो जाए तब इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए.

आम तौर पर 60 से 65 दिनों में फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है.

ब्रोकली की अच्छी फसल से करीब 12 से 15 टन प्रति हेक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.

कृषि वैज्ञानिक की सलाह हैं कि जिस खेत में पिछले साल ब्रोकली लगा चुके हैं, उसमें इस साल इसे न लगाएं.

ऐसा देखा गया है कि पुरानी फसल के अवशेष अलग-अलग तरह के कीटों को शरण देते हैं और उसी खेत में फिर से बुवाई करने पर पैदावार पर असर पड़ता है.

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