गुलाबी आलू को सामान्य आलू की तुलना में अधिक पौष्टिक माना जाता है.
इसमें सामान्य आलू की अपेक्षा कार्बोहाइड्रेट और स्ट्राच की मात्रा कम होती है.
ये स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है.
मार्केट में बढ़ रही डिमांड
आलू भारतीय रसोई का एक बेहद जरूरी हिस्सा है. कई तरह के स्वादिष्ट पकवानों में आलू का इस्तेमाल किया जाता है.
किसान भी बड़े पैमाने पर इसकी खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं.
मार्केट में इन दिनों गुलाबी आलू की डिमांड बढ़ गई है. इस आलू का वैज्ञानिक नाम बड़ा आलू 72 नाम दिया गया है.
बाजार में बढ़ी गुलाबी आलू की डिमांड
गुलाबी आलू को सामान्य आलू की तुलना में अधिक पौष्टिक माना जाता है.
इसमें सामान्य आलू की अपेक्षा कार्बोहाइड्रेट और स्ट्राच की मात्रा कम होती है.
ये स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके अलावा इस प्रजाति को लंबे समय तक सुरक्षित स्टोर किया जा सकता है.
बाजार में इस आलू की डिमांड बढ़ने लगी है. डिमांड बढ़ने के साथ-साथ किसानों का मुनाफा भी बढ़ने लगा है.
80 दिनों में बंपर पैदावार
मैदानी इलाकों के साथ-साथ पहाड़ी इलाकों में भी बड़े पैमाने पर गुलाबी आलू की खेती की जाती है.
ये आलू सिर्फ 80 दिनों में तैयार हो जाता है. प्रति हेक्टेयर इसकी उत्पादन क्षमता 400 क्विंटल है.
वहीं, विशेषज्ञों के मुताबिक पिंक पोटैटो में प्रतिरोधक क्षमता अधिक है.
इसलिए इसमें लगने वाले अगेता झुलसा रोग, पिछेती झुलसा रोग, पोटैटो लीफ रोल रोग आदि रोग नहीं लगते हैं.
इसमें विषाणुओं के द्वारा पनपने वाले रोग भी नहीं लगते हैं. रोग नहीं लगने से किसानों की लागत में कमी आई है और मुनाफा भी बढ़ा है.
आकर्षक दिखता है ये आलू
गुलाबी रंग का ये आलू काफी चमकीला और आकर्षक दिखता है.
अपने रंग और आकार के चलते लोग इसकी तरफ आकर्षित होते हैं. बाजार में इस आलू का रेट सामान्य के मुकाबले ज्यादा है.
अगर आप अच्छे तरीके से इस आलू की खेती करते हैं तो सिर्फ 80 दिनों में ही अच्छा मुनाफा कमाने की संभावनाएं रखते हैं.
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