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खीरे की खेती से पूरे साल कमाई कर सकते हैं किसान

 

खीरे की खेती

 

खीरे की खेती महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर की जाती है. इस फसल की खेती महाराष्ट्र में लगभग 3711 हेक्टेयर में की जाती है.

 

इन दिनों मार्केट में खीरा 40 रुपये किलो बिक रहा है. जब आवक बहुत हो जाती है तब भी इसका रेट 20 रुपये से कम नहीं होता. 

किसान भाई-बहन इसकी खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों सीजन में कर सकते हैं.

लेकिन गर्मी के मौसम में इसका बाजारों में बहुत ज्यादा मांग होती है.

इसलिए कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान खीरे की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. यह एक ऐसी फसल है, जिसे पूरे देश में उगाया जाता है.

अगर किसान ककड़ी की खेती वैज्ञानिक विधि से करें तो इसकी फसल से अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.

महाराष्ट्र के कोंकण जैसे वर्षा सिंचित क्षेत्र में बरसात के मौसम में भी इसका ज्यादा उत्पादन होता है.

इसका प्रयोग प्रतिदिन आहार में किया जा सकता है. इस फसल की खेती महाराष्ट्र में लगभग 3711 हेक्टेयर में की जाती है.

 

खीरे और ककड़ी की बुवाई फरवरी-मार्च के महीने में की जाती है. ककड़ी एक गर्म और शुष्क जलवायु में उगाई जाने वाली फसल है.

बेहतर जल निकासी वाली मध्यम से भारी मिट्टी इस फसल के लिए उपयुक्त होती है.

कृषि विशेषज्ञ बिनोद आनंद का कहना है कि किसानों को उन फसलों को उगाने पर जोर देना चाहिए, जिनमें रिस्क कम और मुनाफा ज्यादा हो.

खीरा ऐसी ही एक फसल है, जिसमें किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

 

उन्नतशील किस्में

पूसा संयोग, पूसा बरखा, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, स्वर्ण अगेती, पंजाब सलेक्शन, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, खीरा 75, पीसीयूएच- 1, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल आदि इसकी अच्छी किस्म मानी जाती हैं.

पूसा संयोग एक हाइब्रिड किस्म है जो 50 दिन में तैयार हो जाती है. प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है.

जबकि पूसा बरखा खरीफ के मौसम के लिए है. इसकी औसत पैदावार 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

उधर, स्वर्ण शीतल चूर्णी फफूंदी और श्याम वर्ण रोग प्रतिरोधी किस्म है.

 

पूर्व-खेती और रोपण

खेत की खड़ी और क्षैतिज जुताई करें, गांठों को तोड़ें और स्प्रे करें. खेत में अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद की 30 से 50 गाड़ियां डालें और फिर फैला दें.

गर्मी के मौसम के लिए इसे 60 से 75 सेमी की दूरी पर काटा जाना चाहिए.

यदि खरीफ मौसम के दौरान कोंकण क्षेत्र में खीरा लगाया जाना है तो 30 सेमी गहरी 60 सेमी चौड़ाई और 3 सेमी की दूरी 90 सेमी की दूरी पर खांचे के दोनों किनारों पर 3 मीटर की दूरी पर तैयार की जानी चाहिए.

प्रत्येक बगीचे में 3 से 4 बीज उचित अंतराल पर बोएं.

 

जल्दी तैयार होने वाली फसल है खीरा

किसान भाई खीरे की बुवाई करने से पहले उन्हें रोगों से बचाने के लिए उपचारित करना चाहिए.

अच्छा उत्पादन लेने के लिए 20-25 टन गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालनी चाहिए.

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के मुताबिक रासायनिक खाद का इस्तेमाल करें. खीरा बहुत जल्दी तैयार होने वाली फसल है.

इसकी बुवाई के दो महीने बाद ही इसमें फल लगना चालू हो जाता है.

source :tv9hindi

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