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औषधीय पौधों की खेती कर अपनी कमाई को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं किसान

 

सरकार भी कर रही है मदद

 

औषधीय पौधों की खेती कर के किसान बेहतर लाभ कमा सकते हैं.

मौजूदा समय में कोरोना के कारण लोगों ने एक बार फिर प्राकृतिक औषधीयों की ओर रुख किया है.

शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने से लेकर बेहतर स्वास्थ्य के लिए लोग औषधीय पौधों का सहारा ले रहे हैं.

 

भारत में लंबे समय से पेड़-पौधों के अलग-अलग हिस्सों का इस्तेमाल कर के रोगों और बीमारियों को ठीक किया जाता रहा है.

भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से है, जिसे उच्च जैव विविधता वाले देश का दर्जा दिया जाता है. बहुत सी वनस्पतियों की किस्में सिर्फ भारत में ही पाई जाती हैं.

 

भारत सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के हिसाब से यहां करीब 8000 पेड़-पौधे ऐसे हैं, जिनका उपयोग औषधीय रुप से किया जाता है.

इनसे बने उत्पाद और दवाइयों की विदेशों में भी अच्छी-खासी मांग रहती है और यहीं मांग किसानों के लिए औषधीय पौधों की खेती के लिए द्वार खोलती है.

 

सरकार ने जारी किए हैं 4000 करोड़ रुपए

औषधीय पौधों की खेती कर के किसान बेहतर लाभ कमा सकते हैं.

मौजूदा समय में कोरोना के कारण लोगों ने एक बार फिर प्राकृतिक औषधीयों की ओर रुख किया है.

शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने से लेकर बेहतर स्वास्थ्य के लिए लोग औषधीय पौधों का सहारा ले रहे हैं.

 

भारतीय औषधीयों की बढ़ती मांग को देखते हुए किसानों के लिए औषधीय पौधों की खेती आर्थिक रूप से काफी फायदेमंद साबित हो सकती है.

औषधीय खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार भी किसानों का हर संभव सहयोग कर रही है.

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दिए गए आर्थिक पैकेज में औषधीय खेती को प्रोत्साहन देने के लिए 4000 करोड़ रुपए दिए गए हैं.

 

मंडियों को नेटवर्क भी किया जाएगा तैयार

राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने करीब सवा दो लाभ हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधों की खेती को सहायता प्रदान की है.

आगामी वर्षों में 4000 करोड़ रुपए के व्यय से हर्बल खेती के तहत 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा.

इससे किसानों को करीब 5000 करोड़ रुपए की आय होगी. इतना ही नहीं, औषधीय पौधों के लिए क्षेत्रीय मंडियों का नेटवर्क भी होगा.

हर्बल खेती किसानों की आय को दोगुनी करने में भी मददगार साबित होगी.

 

अश्वगंधा, गिलोय, भृंगराज, सतावर, पुदीना, मोगरा, तुलसी, घृतकुमारी, ब्राह्मी, शंकपुष्पी और गुलर आदि बहुत ही ऐसी औषधीय फसलें हैं, जिनकी खेती किसान कर सकते हैं.

किसान फसल विविधता अपनाएं और खेत खाली होने के बाद अगर उसमें औषधीय पौधों की खेती करें तो अच्छा मुनाफा ले सकते हैं.

 

नहीं होती विशेष देखभाल की जरूरत

साथ ही, इन फसलों को ज्यादा देखभाल और पानी की भी जरूरत नहीं होती.

किसान परंपरागत खेती से दूरी बनाकर तरक्की का रास्ता निकाल रहे हैं.

किसान अब खेतों में औषधीय पौधों की खेती कर कई गुना ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं.

देश के कई हिस्सों में किसान समूह बनाकर भी खेती कर रहे हैं.

 

हर्बल उत्पादों की ओर बढ़ते भारत में सफेद मुस्ली से ऐसी दवाइयां बनाई जा रही हैं, जिससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

लेमनग्रास के तेल का उपयोग नींबू की खुशबू वाले साबुन में किया जाता है.

श्यामा हर्बल से चाय और डियोड्रेंट और चमड़ा उद्योग में बदबू दूर करने के लिए इस्तेमाल हो रहा है.

इस तरह देखा जाए तो औषधीय पौधों की खेती में आपार संभावनाएं मौजूद हैं.

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