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अक्टूबर मध्य तक करें मटर की अगेती किस्मों की बुवाई

हर साल मटर की अगेती किस्मों मांग बढ़ जाती है.

रबी सीजन की मुख्य दलहनी फसल मटर की अगेती किस्मों की सितंबर-अक्टूबर में बुवाई करने के लिए विकसित किया गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने मटर की अगेती की कई किस्मों को विकसित किया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कई किसान दलहनी सब्जियों में मटर को सबसे पहले पसंद करते है. इससे भोजन में प्रोटीन की जरूरत पूरी होती है, तो वहीं मटर की खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है.

 

मटर की अगेती किस्मों की बुवाई

किसान कम अवधि में तैयार होने वाली मटर की किस्मों की बुवाई सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर अक्टूबर के मध्य तक कर सकते हैं. इसकी खेती से किसान अपनी आमदनी को दोगुना कर सकते हैं. इसमें  काशी नंदिनी, काशी मुक्ति, काशी उदय और काशी अगेती प्रमुख हैं. इनकी खास बात है कि यह 50 से 60  दिन में तैयार हो जाती हैं. इससे खेत जल्दी खाली हो जाता है. इसके बाद किसान आसीन से दूसरी फसलों की बुवाई कर सकते हैं.

 

मटर की अगेती किस्मों की विशेषता

काशी नंदिनी  इस किस्म को साल 2005 में विकसित किया गया था. इसकी खेती उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में की जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर औसतन 110 से 120 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है.

 

काशी उदय इस किस्म को साल 2005 में विकसित किया गया था. इसकी विशेषता है कि इसकी फली की लंबाई 9 से 10 सेंटीमीटर होती है. इसकी खेती की उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में की जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर 105 क्विंटल तक का उत्पादन मिल सकता है.

 

काशी मुक्ति  यह किस्म उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और झारखंड के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर 115 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त हो सकता है. इसकी फलिया और दाने काफी बड़े होते हैं. खास बात है कि इसकी विदेशों में भी मांग रहती है.

 

काशी अगेतीयह किस्म 50 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी फलियां सीधी और गहरी होती हैं. इसके पौधों की लंबाई 58 से 61 सेंटीमीटर होती है. इसके 1 पौधे में 9 से 10 फलियां लग सकती हैं. इससे प्रति हेक्टेयर 95 से 100 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त हो सकता है.

 

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उपयुक्त मिट्टी

मटर की खेती के लिए दोमट और हल्की दोमट मिट्टी, दोनों उपयुक्त मानी जाती हैं. इसके खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. इसके बाद 2 से 3 जुताई कल्टीवेटर से करनी चाहिए.

बीज मात्रा

बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 80 से 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़‍ती है. किसानों के लिए सबसे पहले बीजोपचार करना जरूरी होता है. इसके लिए थीरम 2 ग्राम या मैकोंजेब 3 ग्राम को प्रति किलो बीज शोधन करना चाहिए.

 

बुवाई की विधि

मटर के लिए अगेती किस्म की बुवाई से 24 घंटे पहले बीज को पानी में भिगोकर रख दें. इसके बाद छाया में सुखाकर बुवाई करें.

 

उर्वरक का प्रयोग

किसानों को बुवाई करने में उर्वरक का प्रयोग करने में भी खास ध्यान देना चाहिए. इसके लिए प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नाइट्रोजन डालना चाहिए.

 

पैदावार

अगर किसान अच्छी देखभाल के साथ मटर की अगेती किस्मों की खेती करते हैं, तो उन्हें प्रति हेक्टेयर फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता है.

 

source : कृषि जागरण

 

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