हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

किसानों को अब उत्पादन लागत के हिसाब से मिलेगा फसल बीमा

किसानों को अब उत्पादन लागत के हिसाब से मिलेगा फसल बीमा

 

प्रदेश में किसानों को अब उत्पादन लागत के हिसाब से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिलेगा। शिवराज सरकार ने कमल नाथ सरकार के उस फैसले को बदल दिया है, जिसमें उत्पादन लागत के 75 फीसद हिस्से को ही बीमा के दायरे में रखा गया था। इससे किसानों को फसल बीमा का मुआवजा कम मिला था।

कृषि मंत्री कमल पटेल ने विभाग को खरीफ 2020 से तीन साल के लिए बीमा कंपनियों से निविदाएं आमंत्रित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

 

प्रदेश में सहकारी संस्थाओं से कर्ज लेने वाले सभी किसानों का अनिवार्य रूप से प्रधानमंत्री फसल बीमा कराया जाता है।

प्राकृतिक आपदा की सूरत में जब फसल को नुकसान पहुंचता है तब नुकसान के आधार पर फसल बीमा मिलता है। इससे किसानों के ऊपर कर्ज का बोझ नहीं पड़ता है और काफी हद तक लागत की पूर्ति भी हो जाती है जो संकट के समय मददगार साबित होती है। कमल नाथ सरकार ने फसल बीमा को उत्पादन लागत के 75 फीसद तक सीमित कर दिया था।

 

इससे सरकार को प्रीमियम में देने वाला अंशदान तो कम देना पड़ा पर किसानों को नुकसान हुआ। इसे देखते हुए सरकार ने तय किया है कि उत्पादन लागत के हिसाब से किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ दिलाया जाएगा।

कंपनियों से बुलाई निविदाएं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद कृषि मंत्री कमल पटेल ने नए प्रावधानों के तहत बीमा कंपनियों से खरीफ 2020 से तीन साल के लिए निविदाएं बुलाने की अनुमति दी है।

 

इसमें यह भी प्रावधान रखा गया है कि प्रत्येक वित्तीय वर्ष के तीन माह पहले राज्य शासन या बीमा कंपनी निविदा से बाहर निकल सकती है।

किसानों की फसल की पूरी लागत का निर्धारण जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी। खरीफ 2020 के लिए योजना की अंतिम समयसीमा 31 जुलाई 2020 रखने पर केंद्र सरकार ने सहमति दे दी है।

 

ठंडे बस्ते में कंपनी या ट्रस्ट बनाने का प्रस्ताव

फसल बीमा के लिए राज्य सरकार अपनी बीमा कंपनी या ट्रस्ट बनाने की तैयारी कर रही थी। इसको लेकर प्रस्ताव भी तैयारी हुआ था और कृषि मंत्री कमल पटेल ने बैठक भी की थी।

सूत्रों का कहना है कि पिछली शिवराज सरकार में भी इसको लेकर काफी मंथन हुआ था पर कोई निष्कर्ष नहीं निकला था। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री से विभाग को अभी इस मामले में आगे बढ़ने की हरी झंडी नहीं मिली है।

source : naidunia

 

 

शेयर करे