हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

10 से 25 नवंबर के बीच गेहूं की बुआई करने वाले किसानों के लिए…

महत्वपूर्ण जानकारी

 

गेहूं की बुवाई तीन चरणों में की जाती है जो बुवाई के समय पर निर्भर करता है।

गेहूँ जल्दी बोया जा सकता है, समय पर बोया जा सकता है और देर से बोया जा सकता है।

गेहूँ की अगेती बुआई आमतौर पर 20 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच होती है।

मय से बोया गया गेहूं 10 नवंबर से 25 नवंबर के बीच बोया जाता है।

गेहूँ की पछेती बुआई नवम्बर के अन्तिम सप्ताह से दिसम्बर तक की जाती है।

 

वर्तमान समय के अनुसार समय से बिजाई करने वाले गेहूं की बुआई का समय आ गया है।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि कौन सी किस्मों का चयन करना है और इसके लिए कितनी सिंचाई की आवश्यकता है।

अच्छी उपज के लिए आवश्यक उर्वरक की मात्रा को जानना भी महत्वपूर्ण है।

चंदौसी/शरबती गेहूँ की किस्में

समय से बोई गई गेहूँ की चंदौसी/शरबती गेहूँ की किस्में हैं – GW 366, GW 513, HI 1544 (पूर्णा), HI 1636 (पूसा वकुला), HI 1650।

 

कठिया/मालवी गेहूं की किस्में

समय से बोई गई गेहूं की कठिया/मालवी गेहूं की किस्में हैं- एमपीओ 1255, एचआई 8663 (पूसा पोषण), एचआई 8713 (पूसा मंगल), एचआई 8737 (पूसा अनमोल), एचआई 8757 (पूसा तेजस)।

गेहूँ में उर्वरक की आवश्यकता

चंदौसी/शरबती गेहूं की किस्मों के लिए एनपीके उर्वरक की आवश्यकता 120:60:30 है। कठिया/मालवी गेहूं की किस्मों के लिए एनपीके उर्वरक की आवश्यकता 140:70:35 है।

 

गेहूँ में सिंचाई की आवश्यकता

10 नवंबर से 25 नवंबर के बीच समय से बोई गई गेहूँ में 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है।

समय से बोये गए गेहूं की औसत उपज

चंदौसी/शरबती और कठिया/मालवी गेहूँ की किस्में समय पर पर्याप्त खाद और पानी देने पर औसतन 50-60 क्विंटल/हेक्टेयर उपज देंगी।

यह भी पढ़े : गेहूं की इन 3 किस्मों से मिलेगा बंपर उत्पादन

 

यह भी पढ़े : पीएम किसान योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें ?

 

शेयर करें