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किसानों को राहत देने के लिए 58,430 करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकार

 

खर्च करेगी सरकार

 

सरकार ने P&K फर्टिलाइजर पर 43,403 करोड़ रुपये सब्सिडी देने की योजना तैयार की है.

इसमें घरेलू P&K पर 26,602 करोड़ रुपये और इंपोर्टेड P&K पर 16,827 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की प्लानिंग है.

 

भारत सरकार, खाद बनाने वाली कंपनियों के साथ-साथ देश के किसानों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है.

आने वाले समय में सरकार खाद बनाने वाली कंपनियों को अतिरिक्त सब्सिडी देने का ऐलान कर सकती है.

सीएनबीसी आवाज की खबर के मुताबिक भारत सरकार ने फर्टिलाइजर पर अतिरिक्त सब्सिडी देने के लिए संसद से मंजूरी मांगी है.

खबर के मुताबिक सरकार ने फर्टिलाइजर पर अतिरिक्त राहत देने के लिए संसद से 58,430 करोड़ रुपये के खर्च के लिए मंजूरी मांगी है.

संसद से मंजूरी मिलने के बाद देशभर में खाद और सस्ता हो जाएगा.

 

सब्सिडी बढ़ने से खाद बनाने वाली कंपनियों के मुनाफे में होगी बढ़ोतरी

रिपोर्ट के मुताबिक सरकार खाद कंपनियों को अतिरिक्त सब्सिडी, जिससे उनके मुनाफे में बढ़ोतरी होगी.

मुनाफे में बढ़ोतरी होगी तो वे अपने उत्पाद की कीमतें नहीं बढ़ाएंगे और किसानों को खाद खरीदने के लिए पहले से ज्यादा पैसा खर्च नहीं करने पड़ेंगे.

बताते चलें कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाद में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है.

सरकार ने जब बजट में खाद पर सब्सिडी देने का ऐलान किया था, उस समय जो कीमतों थीं और आज जो कीमतें हैं, उनमें दोगुने का अंतर आ चुका है.

 

P&K और यूरिया पर अतिरिक्त सब्सिडी के लिए खर्च किए जाएंगे 58,430 करोड़

सीएनबीसी आवाज की रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार ने P&K फर्टिलाइजर पर 43,403 करोड़ रुपये सब्सिडी देने की योजना तैयार की है.

इसमें घरेलू P&K पर 26,602 करोड़ रुपये और इंपोर्टेड P&K पर 16,827 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की प्लानिंग है.

इसके अलावा, यूरिया पर 15 हजार करोड़ रुपये दिए जाएंगे. इस तरह P&K और यूरिया पर प्रस्तावित अतिरिक्त सब्सिडी का कुल खर्च 58,430 करोड़ रुपये हो रहा है.

इसके लिए सरकार ने औपराचिकताएं पूरी करने के लिए संसद से मंजूरी मांगी है.

संसद से मंजूरी मिलने के बाद इसे जारी कर दिया जाएगा.

 

कच्चे माल की बढ़ती कीमतों से तंग आ चुकी थीं खाद बनाने वाली कंपनियां

बताते चलें कि फर्टिलाइजर बनाने वाली तमाम कंपनियां तेजी से बढ़ती लागत और घटते मुनाफे को लेकर परेशान थीं.

खाद बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि उन्हें जो सब्सिडी मिल रही है, वो पुरानी कीमतों के आधार पर ही मिल रही है जबकि मौजूदा वक्त में खाद बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमत काफी ज्यादा बढ़ चुकी हैं.

इसलिए कंपनियों की मांग थी कि उन्हें जो सब्सिडी दी जा रही है वह नई कीमतों के आधार पर दी जानी चाहिए ताकि उनके मुनाफा बढ़ सके और वे निर्बाध तरीके से खाद का उत्पादन कर सकें.

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