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गन्ना किसानों के लिए सरकार का फ्यूचर प्लान

 

ऐसे होगी आमदनी में वृद्धि

 

आम बजट 2022 में केंद्र सरकार ने किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की है।

इनमें से कई घोषणाओं से किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचेगा। ऐसी ही एक घोषणा पेट्रोल-डीजल की कीमत से जुड़ी हुई है।

बजट में 1 अक्टूबर 2022 से इथेनॉल या बायोडीजल के मिश्रण के बगैर बिकने वाले पेट्रोलियम उत्पादों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने की घोषणा की गई है।

इससे देश के अधिकांश राज्यों में डीजल के दाम 1 अक्टूबर, 2022 से 2 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं जबकि पूर्वोत्तर जैसे कुछ क्षेत्रों में भी पेट्रोल की कीमतें बढ़ सकती हैं।

सरकार का यह फैसला तेल कंपनियों को पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण के लिए प्रोत्साहित करेगा।

वहीं सबसे ज्यादा फायदा गन्ना किसानों को होगा। केंद्र सरकार ने इथेनॉल का उपयोग बढ़ाने के लिए यह घोषणा की है।

 

किसानों को आय का अतिक्ति स्त्रोत देने का फ्यूचर प्लान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को आम बजट पेश करते हुए बिना मिश्रण वाले ईंधनों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने की घोषणा की है।

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि एक अक्टूबर, 2022 से बिना मिक्सिंग वाले ईंधनों पर 2 रुपये प्रति लीटर की दर से अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगेगा।

सरकार के इस कदम से पेट्रोल एवं डीजल के दामों में वृद्धि होगी। इस घोषणा के पीछे सरकार की एक दूरदर्शी सोच है।

सरकार चाहती है कि भविष्य में इथेनॉल का उपयोग बढ़े और किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्त्रोत मिले।

पेट्रोलियम उत्पादों में इथेनॉल के मिश्रण से जहां तेल के आयात पर निर्भरता को कम होगी, वहीं गन्ना व अन्य खाद्यान्न उत्पादन करने वाले किसानों की आय में वृद्धि हो सकेगी।

 

फिलहाल 10 फीसदी इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने की अनुमति

भारत हर साल विदेशों से तेल आयात करने में बहुत अधिक पैसा खर्च करता है।

सरकार ने विदेशों से आयातित पेट्रोल पर निर्भता को कम करने के उद्देश्य से 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत तक एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा है।

फिलहाल गन्ने या अन्य खाद्यान्न से निकाले गए इथेनॉल को 10 फीसदी के अनुपात में ही पेट्रोल में मिलाया जाता है।

वहीं देश के अधिकांश इलाकों में डीजल की बिक्री बिना किसी मिश्रण के होती है।

कई जगह डीजल में मिश्रण के लिए गैर-खाद्य तिलहनों से निकाले गए बायोडीजल का इस्तेमाल होता है।

पेट्रोल-इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य सीधे तौर पर किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित होंगे।

 

इथेनॉल ब्लेंडिंग : ऐसे होगा किसानों को फायदा

इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसका इस्तेमाल पेट्रोल में मिलाकर वाहनों में ईंधन की तरह किया जाता है।

देश में गन्ने के अलावा अन्य अनाजों जैसे गेहूं, चावल और मक्का से इथेनॉल बनाने की मंजूरी है। सबसे ज्यादा इथेनॉल गन्ने से बनाया जा रहा है।

देश में कई चीनी मिल जो पहले गन्ने के रस से चीनी बनाती थी, अब गन्ने के रस से सीधे इथेनॉल का उत्पादन कर रही है।

सरकार की इथेनॉल पॉलिसी से किसानों को समय से गन्ना मूल्य का भुगतान मिलने में आसानी रहेगी।

सरकार को पेट्रोलियम पदार्थ की कीमत कम करने में मदद मिलेगी जिससे किसानों को भी कम कीमत में पेट्रोल मिलेगा।

इथेनॉल का उत्पादन बढऩे पर कंपनियों में तकनीकी शिक्षा प्राप्त युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे।

इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि से किसानों का गन्ने की खेती के प्रति रूझान बढ़ेगा।

जिन क्षेत्रों में इथेनॉल बनाने वाली कंपनियां होंगी वहां पर व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी।

साथ ही तैयार एथेनॉल को पेट्रोल-डीजल में मिलाकर बेचने से सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों के आयात को कमकर विदेशी मुद्रा के भंडार को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

 

भविष्य में इथेनॉल की डिमांड बढऩे से किसानों को होगा फायदा

केंद्र सरकार की इथेनॉल पॉलिसी से भविष्य में किसानों को आय का अतिरिक्त स्त्रोत मिलने का दावा किया जा रहा है।

मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार  देश को 2030 तक पेट्रोल में मिलाने के लिए 1000 करोड़ लीटर इथेनॉल की जरूरत होगी।

केंद्र सरकार के मुताबिक 2013-14 में तेल कंपनियों द्वारा इथेनॉल की 38 करोड़ लीटर खरीद होती थी, जो अब 2020-21 में बढक़र 350 करोड़ लीटर से अधिक हो गई थी।

साल 2013-14 में भारत ने 1500 करोड़ रुपये का इथेनॉल खरीदा था।

आगे चलकर 19 हजार करोड़ रुपये की खरीद का लक्ष्य है। जिसका फायदा सीधे-सीधे किसानों को मिलेगा।

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