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जई की इस किस्म में प्रति हेक्टेयर 550 क्विंटल तक मिलेगा हरा-चारा

 

कृषि वैज्ञानिकों ने दी पूरी जानकारी

 

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि चारे वाली फसलों में नाइट्रोजन के साथ-साथ फास्फोरस वाली खादों का भी प्रयोग किया जाना चाहिए.

जिससे पशुओं के स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है.

 

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हिसार के गांव चिड़ौद में एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया.

प्रशिक्षण कार्यक्रम विस्तार शिक्षा निदेशालय में चल रही फार्मर फर्स्ट परियोजना के तहत किया गया.

जिसमें गांव के किसानों ने हिस्सा लिया. परियोजना में कार्यरत डॉ. आरएस श्योराण ने किसानों को रबी सीजन की चारा फसलों के उत्पादन को लेकर विस्तृत जानकारी दी.

 

डॉ. श्योराण ने किसानों (Farmers) को जई की ज्यादा कटाई वाली किस्मों की बिजाई की सलाह दी, ताकि हरे चारे की निरंतर उपलब्धता बनी रहे.

उन्होंने विश्वविद्यालय की ओर से विकसित एचजे-8 किस्म की बिजाई के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस किस्म की औसतन पैदावार लगभग 550 क्विंटल हरा-चारा प्रति हेक्टेयर है.

प्रशिक्षण में डॉ. अनिल मलिक व डॉ. राकेश कुमार का विशेष सहयोग रहा.

 

फास्फोरस वाली खादों का भी हो इस्तेमाल

इस अवसर पर उन्होंने किसानों से कहा कि चारे वाली फसलों में नाइट्रोजन के साथ-साथ फास्फोरस वाली खादों का भी प्रयोग किया जाना चाहिए.

जिससे पशुओं के स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है.

जई के अलावा बरसीम की उन्नत किस्में, बिजाई व उत्पादन तकनीकों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला.

इस अवसर पर किसानों को जई की एचजे 8 किस्म का बीज वितरित किया गया ताकि किसान अपने खेत पर ही इसका बीज भी तैयार कर सकें.

इस अवसर पर किसान रमेश कुमार, नरेश कुमार, कृष्ण, सुनील कुमार, कमल सिंह चंद्रसेन, संजय सहित अनेक किसान मौजूद रहे.

 

इस महीने आयोजित होंगे कई प्रशिक्षण कार्यक्रम

एचएयू के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान की ओर से विभिन्न प्रशिक्षणों का आयोजन किया जाएगा.

यह जानकारी देते हुए संस्थान के सह-निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ. अशोक गोदारा ने बताया कि संस्थान की ओर से दूध और उसके उत्पादों का उत्पादन एवं विपणन का प्रशिक्षण 15 नवंबर को होगा.

इसी तरह सब्जी फसलों के लिए नर्सरी उत्पादन विषय पर 22 नवंबर को ट्रेनिंग होगी.

 

गोदारा ने बताया कि मधुमक्खी पालन विषय पर 24 नवंबर से प्रशिक्षणों का आयोजन किया जाएगा.

ये प्रशिक्षण किसानों, युवाओं व ग्रामीण महिलाओं के लिए आयोजित होंगे.

प्रशिक्षण के उपरांत प्रतिभागियों को संस्थान की ओर से प्रमाण-पत्र दिए जाएंगे.

उन्होंने आह्वान किया कि इन प्रशिक्षणों में हिस्सा लेकर प्रतिभागी अधिक से अधिक लाभ उठाएं और स्वरोजगार स्थापित कर अपनी आमदनी में इजाफा करें.

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