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अगर इस कारण सोयाबीन फसल बर्बाद हुई है तो नहीं मिलेगा मुआवजा

किसान साथी यह करें

 

अगर आपकी फसल पीला मोजेक रोग व अन्य रोग से नष्ट हो गई है।

तो आपको मुआवजा नहीं, इसके लिए किसान साथी यह उपाय करें।

 

सोयाबीन की फसल लगभग 70 – 80 दिनों की हो गई है।

मानसून के इस सीजन में सोयाबीन फसल का भारी नुकसान हुआ है।

देश के कई इलाकों में भारी बारिश के जलभराव से ना केवल जनजीवन प्रभावित हुआ है, बल्कि किसानों की फसलें भी पूरी तरह चौपट हो चुकी है।

वहीं दूसरी ओर, खेतों में पानी भरने से बीमारियां व कीट का प्रकोप बना रहता है।

जैसे कि पीला मोजेक रोग जैसी बीमारियां फसल के उत्पादन पर असर डाल सकती है।

अगर इनका उचित नियंत्रण नहीं हुआ तो फसल भी बर्बाद हो सकती है। 

गर आपकी सोयाबीन की फसल पीलापन रोग से नष्ट हो गई है, तो उसके लिए किसान साथी यह उपाय कर सकते हैं..

इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें..

 

किनको मिलेगा मुआवजा

जानकारी के अनुसार बता दें कि मध्यप्रदेश कृषि विभाग द्वारा हाल ही में जारी की गई सूचना के अनुसार फसल बीमा की राशि किसानों को मिलेगी जिन किसानों फसल अतिवृष्टि या जलभराव के कारण नष्ट हो चुकी है।

यदि किसी की फसल पीला मोजेक रोग या किसी अन्य कीट या बीमारी के कारण नष्ट होती है, तो उनको बीमारियां रोग का बीमा क्लेम नहीं मिलेगा।

इसलिए किसान साथी ध्यान दे की, फसल में लगने वाले कीट व बीमारियों पर स्वयं को नियंत्रण पाना है।

अगर फसल में कीट व रोग के लक्षण दिखाई देते हैं तो इस पर तुरंत ही कृषि वैज्ञानिकों या कृषि की जानकारी रखने वाले लोगों से रोग के नियंत्रण के बारे में जानकारी लेकर उचित दवाई का चयन कर सकते हैं।

 

घातक है पीला मोजेक रोग

पीला मोजेक रोग क्या है – पीला मोजेक एक तरह का सूक्ष्म वायरस है, जो एक पौधे से पूरे खेत में फैल जाता है।

अगर इस रोग को समय पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह भयानक रूप ले सकता है।

यह रोग कितना घातक है कि इससे पूरी फसल नष्ट हो सकती है।

लक्षण – जैसा कि इस रोग का नाम ही पीला मोजैक रोग है।

इस प्रकार रोग में पौधे की पत्तियों हरे पीले धब्बे दिखाई देने लगते हैं।

यह रोग मुख्यतः सफेद मक्खी के कारण फैलता है।

नियंत्रण के लिए यह उपाय करें – (1) थायमिथोक्सोजाम 25 डब्ल्यू.जी. 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर में 500 लीटर तक के पानी के साथ उपयोग में ले।

(2) यदि खेत में कुछेक पौधों में पीलापन नजर आता है उन्हें उखाड़कर खेत से दूर गड्ढे में निष्कासित करें।

 

इस प्रकार मुआवजे की राशि मिलेगी

किसानों की फसल अगर बारिश या फिर किसी भी तरह के प्राकृतिक आपदा के चलते खराब हो जाती है, तो समय रहते वह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से बीमा कंपनी में इसकी सूचना दर्ज करवा दें।

ध्यान रहे कि यह सूचना आपको बीमा कंपनी को 72 घंटे के अंदर देनी होगी।

इसके बाद फिर बीमा कंपनी अपने किसी अधिकारी को खेत व फसल का मुआयना करने के लिए भेजेंगी कि कोई फसल खराब हुई है और खराब कैसे हुई।

स्थिति की जांच के बाद किसानों के खाते में मुआवजे की बीमित राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी।

 

नष्ट फसल का मुआवजा कैसे ले

यदि आपकी फसल (सोयाबीन या अन्य कोई फसल) अतिवृष्टि, जलभराव एवं अन्य कारणों से नष्ट हो गई है।

फसल के नुकसान के पश्चात बीमा कंपनी द्वारा प्रदान किए गए फार्म को सबमिट करना पड़ता है या बीमा कंपनी के प्रतिनिधि से संपर्क कर जानकारी से अवगत करा सकते हैं तत्पश्चात इसके नुकसान फसलों का बीमा के अंतर्गत मुआवजा दिया जाता है।

 

समस्या आने पर यहां संपर्क करें – फसल बीमा की किसी भी प्रकार की समस्या आने पर एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी (AIC) टोल फ्री नंबर 18002337115 पर फोन कर सकते हैं।

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