प्रति/हे मिलेगा इतने टन उत्पादन
प्याज की खेती किसानों की आमदनी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसलिए किसानों के बीच रबी सीजन में प्याज की खेती उत्तम और भरोसेमंद मानी गई है.
वहीं, प्याज का ज्यादा उत्पादन महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु तथा गुजरात आदि प्रदेशों में होता है.
प्याज की अच्छी पैदावार कर किसानों की आमदनी बढ़ सके, इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार प्याज की खेती करना चाहिए.
इसके साथ ही उन्नत किस्मों का चुनाव भी करना चाहिए.
जानकारी के लिए बता दें कि अखिल भारतीय प्याज और लहसुन नेटवर्क अनुसंधान परियोजना की विधान चन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, कल्याणी में आयोजित कार्यशाला में प्याज और लहसुन अनुसंधान निदेशालय (डीओजीआर) की प्याज की 5 उन्नत किस्मों को राष्ट्रीय स्तर पर जारी करने के लिए अनुमोदित किया गया.
प्याज की इन किस्मों की प्रमुख विशेषताएं हैं, जो हम इस लेख में बताने जा रहे हैं.
प्याज की जारी उन्नत किस्में
- भीमा सुपर
- भीमा गहरा लाल
- भीमा लाल
- भीमा श्वेता
- भीमा शुभ्रा
भीमा सुपर
छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम में उगाने के लिए इस लाल प्याज किस्म की पहचान की गई है.
इसे खरीफ में पछेती फसल के रूप में भी उगा सकते हैं. यह किस्म खरीफ में प्रति हेक्टेयर 22 से 22 टन और पछेती खरीफ में प्रति हेक्टेयर 40 से 45 टन तक उपज देती है.
इसके अलावा, खरीफ में 100 से 105 दिन और पछेती खरीफ में 110 से 120 दिन में कंद पककर तैयार कर देती हैं.
भीमा गहरा लाल
इस किस्म की पहचान छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए की गई है.
इसमें प्रति हेक्टेयर 20 से 22 टन औसतन उपज देने की क्षमता है. इसमें आकर्षक गहरे, लाल रंग के चपटे एवं गोलाकार कंद होते हैं.
यह करीब 95 से 100 दिन में कंद पककर तैयार कर देती है.
भीमा लाल
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में रबी मौसम के लिए पहले से ही अनुमोदित इस किस्म को अब दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए अनुमोदित किया गया है.
यह फसल पछेती खरीफ मौसम में भी बोई जा सकती है.
खरीफ में यह फसल 105 से 110 दिन और पछेती खरीफ और रबी मौसम में 110 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है.
खरीफ में प्रति हेक्टेयर औसतन 19 से 21 टन उपज दे सकती है.
इसके साथ ही पछेती खरीफ में प्रति हेक्टेयर 48 से 52 टन और रबी सीजन में प्रति हेक्टेयर 30 से 32 टन उपज दे सकती है.
इसका भंडारण रबी में करीब 3 महीने तक कर सकते हैं.
भीमा श्वेता
सफेद प्याज की यह किस्म रबी मौसम के लिए पहले से ही अनुमोदित है.
अब खरीफ मौसम में छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु में उगाने के लिए अनुमोदित किया गया है.
इस किस्म से करीब 110 से 120 दिन में फसल पककर तैयार हो जाती है. इसका भंडारण 3 माह तक कर सकते हैं.
खरीफ में इसकी औसत उपज प्रति हेक्टेयर 18 से 20 टन हो सकती है, तो वहीं रबी में प्रति हेक्टेयर 26 से 30 टन उपज प्राप्त कर सकते हैं.
भीमा शुभ्रा
सफेद प्याज की यह किस्म छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए अनुमोदित की गई है.
महाराष्ट्र में पछेती खरीफ के लिए भी इसे अनुमोदित किया गया है.
यह खरीफ में 110 से 115 दिन और पछेती खरीफ में 120 से 130 दिन में पककर तैयार हो जाती है.
यह किस्म मध्यम भण्डारण के उतार-चढ़ाव के प्रति सहिष्णु है.
इससे खरीफ में प्रति हेक्टेयर 18 से 20 टन और पछेती खरीफ में प्रति हेक्टेयर 36 से 42 टन तक उपज प्राप्त हो सकती है.
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