मोती की खेती
आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत नए प्रोजेक्ट की शुरुआत, सनावद क्षेत्र में किसानों ने दिखाई इच्छाशक्ति
केंद्र सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत के तहत अब नई खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। उसी के अंतर्गत निमाड़ में अब मोती की खेती की जाएगी।
जो समुद्र क्षेत्र में होती है। लेकिन अब सरकार के इस प्रोजेक्ट के बाद इसकी खेती निमाड़ में भी देखने के लिए मिलेगी।
सिटी स्मार्ट एग्रीकल्चर प्रोडक्ट कंपनी के एजीएम मृदुल बारचे ने बताया कि मोती एक प्राकृतिक रचना है। जो सिप में पैदा होता है।
भारत समेत हर जगह मोतियों की मांग बढ़ती जा रही है। लेकिन दोहन ओर प्रदूषण से इनकी संख्या घट रही है।
वही अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में हर साल मोतियों को बड़ी मात्रा में आयात करता है।
ताजा पानी से सीप से मोती बनाने की तकनीक विकसित हो चुकी है। जो देशभर में बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं।
वही निमाड़ के इनपुन पुनर्वास में भी इस प्राकृतिक मोती का निर्माण खेती के जरिए शुरू किया गया है।
जिसमें पहले दो हजार उत्पादक मोती से 5000 मोतियों की संख्या की जाएगी। वही उसे लगातार बढ़ाने का कार्य होने से यह उद्योग लगातार बढ़ता जाएगा।
खेत में तालाब बनाकर हो सकती है खेती
खेती करने के संबंध में बारचे ने बताया कि मोती की खेती के लिए कम से कम 10 गुना बड़े आकार के तालाब में मोतियों की खेती की जा सकती है। खेती करने के लिए सीपियों को करना होता है।
इसके बाद प्रत्येक सीपी में छोटी सी शैली क्रिया के उपरांत इनके भीतर 4 से 6 मीटर के व्यास वाले साधारण या डिजाइन वाले जैसे गणेश बुध पुष्पक आकृति आदि डाले जाते हैं। फिर सीपी को बंद किया जाता है।
इन सीपियों को नायलान बैग में 10 दिनों तक एंटीबायोटिक और प्राकृतिक चारे पर रखा जाता है। रोजाना इनका निरीक्षण किया जाता है। और मृत सीपियों को हटा लिया जाता है।
अब इन सीपियों को तालाब में डाल दिया जाता है। इसके लिए इन्हें नायलॉन बेगू में रखकर बास या पीवीसी पाइप से लटका दिया जाता है और तालाब में एक मीटर की गहराई में छोड़ दिया जाता है।
अंदर से निकलने वाले पदार्थ सीपी के चारों और जमने लगता है। और अंत मे मोती का रूप ले लेते हैं।
एक मोती की कीमत 10 से 25 रुपए
प्रत्येक मोती की बाजार में कीमत 10 से 25 होती है। इसके लिए स्ट्रक्चर सेटअप पर खर्च होंगे एवं 10 से 12 हजार वाटर ट्रीटमेंट पर खर्च होते हैं।
इस प्रकार मोती की खेती आसानी से की जा सकती है। साथ ही आने वाले समय में यह लाभ की खेती बनकर किसानों के लिए उपयोगी साबित होगी।
किसान ने बताई आधुनिक तकनीक
प्रधानमंत्री रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य के बाद योजना के अंतर्गत नई खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आबकारी विभाग के सेवानिवृत्त आबकारी अधिकारी सुरेन्द्रपालसिंह सोलंकी ने इसकी खेती की शुरुआत की।
यह निमाड़ की पहेली मोती में खेती होगी। उन्हें मोती की खेती का रास्ता चुनकर इसे अपनाया।
सीप में मोती डालने के साथ ही नए बीजों को तैयार किया जा रहा है।
वहीं दिल्ली डॉक्टर ने भी इस संबंध में किसानों को जानकारी देकर मोती की खेती को आसान बनाने की तकनीक बताइ।
source : patrika
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