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केसर आम की खेती में इस किसान का है बड़ा नाम

 

1 एकड़ में होती है 6 लाख रुपये की कमाई

 

गवाने केसर आम के अलावा आम्रपाली, मल्लिका, सिंधु जैसे आम की खेती करते हैं.

आम के पेड़ों का सही विकास हो, इसके लिए वे साल में दो बार छंटाई करते हैं. अल्ट्रा हाई डेंसिटी टेक्निक में आम के पौधों की लंबाई 7 फीट से ज्यादा नहीं होने दी जाती.

 

आम का नाम सामने आते ही अलफांसो और केसर का स्वाद याद आने लगता है. ये आम की ऐसी वेरायटी है जिसे हर कोई आजमाना चाहता है.

अलफांसो महंगा है, इसलिए कम ही लोग स्वाद चख पाते हैं. लेकिन टेस्ट के मामले में केसर आम उससे किसी भी मामले में पीछे नहीं है.

टेस्ट के साथ ही जो किसान इसकी व्यावसायिक खेती करते हैं, वे लाखों में कमाई करते हैं. एक ऐसे ही किसान हैं महाराष्ट्र के परमानंद गवाने, जिन्होंने एक एकड़ में 6 लाख रुपये तक की कमाई की है.

 

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महाराष्ट्र का नाम सामने आते ही किसानों की आत्महत्या का स्याह चेहरा कौंध जाता है. लेकिन उसी जगह से कुछ ऐसे किसान भी हैं जो खेती-किसानी में अपना परचम फहरा रहे हैं.

इनमें एक हैं मिराज के किसान परमानंद गवाने. मिराज शहर के बेलांकी में इनका गांव पड़ता है जहां गवाने 2 एकड़ में आम की खेती करते हैं. इसमें केसर आम के पौधे ज्यादा हैं.

गवाने ने 2 एकड़ के खेत में 15 टन केसर आम का उत्पादन किया है. गवाने ने एक एकड़ खेत में 900 केसर के पौधे लगाए हैं. ये आम के पौधे जबर्दस्त उत्पादन दे रहे हैं और एक एकड़ में लगभग 6 लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है.

 

खास टेक्निक से बंपर पैदावार

‘बेटर इंडिया’ की एक रिपोर्ट बताती है कि 62 साल के गवाने ने आम की खेती के लिए अल्ट्रा डेंसिटी प्लांटिंग टेक्निक का इस्तेमाल किया है.

इस टेक्निक की मदद से पारंपरिक खेती की तुलना में 200 परसेंट ज्यादा तक उत्पादन लिया जा सकता है. यह टेक्निक पूरी दुनिया में तेजी से प्रसिद्ध हो रही है.

इस टेक्निक में एक ही तरह के पौधे लगते हैं, लिहाजा एक ही तरह के फल मिलते हैं. इन फलों का आकार-प्रकार भी एक जैसा होता है.

 

कई राज्यों में सप्लाई

पिछले साल गवाने की केसर आम की खेती तब चर्चा में आया जब उनके आम 250 ग्राम से 400 ग्राम तक के हुए थे.

इन आमों की भारी मांग देखी गई और महाराष्ट्र से इन आमों की सप्लाई दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, बेंगलुरु और रायपुर तक की गई.

2015 में गवाने को 3 टन आम का उत्पादन मिला, बाद में यह बढ़कर 7.5 टन हुआ और इस बार 15 टन तक का उत्पादन हुआ है.

फिलहाल उन्हें एक एकड़ में 7.5 टन आम मिल रहा है लेकिन आने वाले समय में बढ़ाकर 10 टन तक करना है.

 

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कई किसान लेते हैं ट्रेनिंग

गवाने पहले अमरूद की खेती करते थे. बाद में उन्हें महसूस हुआ कि आम की खेती से भी बंपर पैदावार ली जा सकती है. गवाने ने अमरूद के साथ आम की खेती शुरू कर दी.

आज की तारीख में वे रिकॉर्ड उत्पादन कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. प्रति एकड़ केसर आम से उन्हें 6 लाख रुपये की कमाई हो रही है.

कोरोना महामारी के बावजूद आसपास के सैकड़ों किसान उनके पास आते हैं और केसर आम की खेती के बारे में पूछते हैं.

मई-जून के दौरान जब पेड़ों पर आम लदे होते हैं, उस वक्त किसानों की आमद और बढ़ जाती है. वे गवाने से खेती की टेक्निक के बारे में पूछते हैं.

 

कम लागत में ज्यादा उत्पादन

गवाने केसर आम के अलावा आम्रपाली, मल्लिका, सिंधु जैसे आम की खेती करते हैं. आम के पेड़ों का सही विकास हो, इसके लिए वे साल में दो बार छंटाई करते हैं.

अल्ट्रा हाई डेंसिटी टेक्निक में आम के पौधों की लंबाई 7 फीट से ज्यादा नहीं होने दी जाती. केसर आम की खासियत है कि इस लंबाई को वह 3-4 साल में प्राप्त कर लेता है जबकि परंपरागत आम के पौधों को बढ़ने में 7-8 साल लग जाता है.

अल्ट्रा हाई डेंसिटी टेक्निक विदेशों में इस्तेमाल किया जाता है. यह टेक्निक इजरायल और दक्षिण अफ्रीका में आजमाया जाता है.

इस टेक्निक की मदद से प्रति एकड़ बंपर पैदावार ली जाती है. इसमें परंपरागत खेती से 50 परसेंट कम सिंचाई लगती है.

 

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