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पशुपालकों की हर दिन होगी कमाई, इस गाय का करें पालन

अगर आप भी प्रतिदिन हजारों की कमाई करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप लद्दाखी पशु का पालन कर सकते हैं,

जो छोटे व बड़े दोनों ही पशुपालकों के लिए लाभकारी है.

पशुपालकों के लिए गाय का पालन सबसे अच्छा बिजनेस होता है. दरअसल, इस कार्य से वह हर महीने बढ़िया कमाई कर सकते हैं. 

हमारे देश में कई तरह की बेहतरीन नस्ल की गाय हैं. इन्हीं गायों में से लद्दाखी नस्ल की गाय है. 

तो आइए आज के इस लेख में हम इस मवेशी की खासियत और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में विस्तार से जानते है…

 

गाय का करें पालन

जानकारी के लिए बता दें कि यह मवेशी ऊंचाई वाले रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाए जाते हैं.

लद्दाखी नस्ल के मवेशियों का मूल स्थान जम्मू-कश्मीर का लेह-लद्दाख है.

यह पशु ठंडी जलवायु और हाइपोक्सिक स्थितियों में भी अपने आपको सरलता पूर्वक डाल लेते हैं.

यह पशु लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं. क्योंकि इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक पाई जाती है.

 

क्यों पाले जाते हैं लद्दाखी पशु

पशुपालकों के द्वारा इस तरह से मवेशियों को दूध, चारा और खाद के लिए सबसे अधिक पाला जाता है.

मिली जानकारी के मुताबिक, इन लद्दाखी गायों का दूध A2 होता है, जो कि बेहद ही ज्यादा अच्छा माना जाता है.

लद्दाखी गाय में एक दिन में कम से कम 2 से 5 लीटर तक दूध देने की क्षमता होती है.

इसके दूध में कई तरह के खास प्रोटीन स्रोत पाए जाते हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर होते हैं.

बता दें कि लद्दाखी गाय (Ladakhi Cow) के दूध में वसा की मात्रा 5.24 से अधिक पाई जाती है.

इसलिए ज्यादातर पशुपालक इसके दूध का इस्तेमाल मक्खन और चुरपी बनाने के लिए करते हैं, जिसकी देशभर के बाजार में मांग अधिक होती है और साथ ही इनकी कीमत भी अधिक होती है.

इस तरह से पशुपालक लद्दाखी गायों से हर दिन हजारों की कमाई कर सकते हैं.

 

लद्दाखी गाय की पहचान

अब आप सोच रहे होंगे कि आप लद्दाखी गाय की पहचान (Identification of Ladakhi Cow) कैसे करेंगे, तो घबराएं नहीं आज के इस लेख में हम इसकी पहचान के बारे में भी बताएंगे.

लद्दाखी पशु की पहचान है कि यह अन्य पशुओं के मुकाबले छोटे आकार के होते हैं यानि की इन गायों का कद छोटा होता है.

यह गाय काले रंग की होती है, लेकिन कुछ गायों को भूरे रंग के धब्बे भी दिखाई देते हैं.

वहीं अगर हम सींग की बात करें, तो इसके सींग थोड़े ऊपर और आगे की ओर मुड़े होते हैं.

इसके अलावा इनका माथा सीधा, छोटा और सिर पर बाल होते हैं. 

लद्दाखी गाय के थन आकार में छोटे व कटोरे की तरह दिखाई देते हैं.

 

लद्दाखी गाय में रोग व बीमारियां

जैसा कि आप जानते हैं कि हर एक पशु में रोग व बीमारियां होती हैं. ठीक इस तरह से लद्दाखी पशुओं की भी कुछ बीमारियां होती हैं.

वैसे तो यह गाय ज्यादातर रोगों से लड़ने में सक्षम है. लेकिन कुछ बीमारियां हैं जो इन लद्दाखी पशुओं में पाई जाती हैं.

लद्दाखी पशुओं में बीमारी– सादी बदहजमी, तेजाबी बदहजमी, खारी बदहजमी, कब्ज, अफारे, मोक/मरोड़/खूनी दस्त और पीलिया आदि.

लद्दाखी पशुओं में रोग – तिल्ली का रोग (एंथ्रैक्स), एनाप्लाज़मोसिस, अनीमिया, मुंह-खुर रोग, मैग्नीशियम की कमी, सिक्के का जहर, रिंडरपैस्ट (शीतला माता), ब्लैक क्वार्टर, निमोनिया, डायरिया, थनैला रोग, पैरों का गलना और दाद आदि रोग होते हैं.

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