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मध्य प्रदेश सरकार करेगी ‘जबलपुरी मटर’ की ब्रांडिंग

 

घर बैठे मिलेगा फायदा

 

एक जिला एक उत्पाद के तहत जबलपुर के लिए ‘हरे मटर’ का चयन किया गया है.

इसकी ब्रांडिंग की टैग लाइन ‘मां नर्मदा के पवित्र जल से सिंचित जबलपुरी मटर’ होगी.

 

जबलपुर जिले के हरे मटर की ब्रॉन्डिंग के लिए उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग रजिस्ट्रेशन करवा रहा है.

‘जबलपुरी मटर’ के नाम से इसका लोगो भी तैयार किया गया है, जो यहां से सप्लाई होने वाली मटर के बैग पर लगाया जाएगा.

जल्द ही इसे तैयार कर उन व्यापारियों को दिया जाएगा, जो किसानों से मटर की खरीदी कर उसे देश के विभिन्न हिस्सों में भेजते हैं.

अब इसकी एक अलग पहचान होगी.

 

इस जिले में हर साल करीब 30 हजार हेक्टेयर रकबे में मटर की खेती होती है.

जिसमें 2 लाख 40 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा का उत्पादन और 400 करोड़ का कारोबार होता है.

हरे मटर की व्यापक पैमाने पर पैदावार जबलपुर जिले की कुछ तहसीलों में होती है.

इसकी बिक्री देश के कई राज्यों में होती है, लेकिन फिलहाल इसकी कोई पहचान नहीं है.

यह बोरियों में पैक होकर शहर से बाहर चली जाती है. वहां से मंडियों में पहुंचकर बाजारों में जाती है.

इसलिए इसे नई पहचान दिलाने के लिए कवायद की जा रही है.

 

ओडीओपी के तहत चयन

आत्म निर्भर मध्यप्रदेश के तहत एक जिला एक उत्पाद के तहत ‘हरे मटर’ का चयन जिला प्रशासन ने किया है.

इसी के तहत इसकी ब्रॉन्डिंग की जाएगी. तैयार किए जा रहे लोगो में अपील के रूप में मां नर्मदा का उल्लेख किया जाएगा.

 

अपील की टैग लाइन ‘मां नर्मदा के पवित्र जल से सिंचित जबलपुरी मटर’ होगी. इसमें हरी मटर की फल्ली भी रहेगी.

जिले में कम समय में ज्यादा मुनाफा वाली इस उपज का इंतजार किसानों को होता है.

बरसात में कई किसान एक से दो महीने तक अपने खेतों को खाली रखते हैं.

 

बैग पर लगेगा टैग

अधिकारियों के मुताबिक यहां के किसान हर साल करीब 400 करोड़ रुपए की हरी मटर बेचते हैं.

इसकी आपूर्ति मध्य प्रदेश के जिलों के साथ महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात व दक्षिण भारत के कई राज्यों में होती है.

 

प्रसंस्करण के बाद इसका निर्यात प्रमुख देशों में किया जाता है.

वही जबलपुर उद्यानिकी विभाग की उप संचालक डॉ. नेहा पटेल का कहना है की एक जिला एक उत्पाद के तहत हरे मटर की ब्रॉन्डिंग के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया जा रहा है. इसका एक ट्रेडमार्क होगा.

मटर के बैग पर यह टैग के रूप में लगाया जाएगा. इस प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

 

इसे भी जानिए
  • 80 प्रतिशत मटर शहर के अलावा बाहरी राज्यों में जाता है.
  • देश के आधा दर्जन के लगभग राज्यों में होती है सप्लाई.
  • विदेशों में जापान और सिंगापुर में व्यंजनों के लिए निर्यात.
  • एक बड़ी और दूसरी छोटी प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की‌ गई है.
  • 6 से 8 हजार मीट्रिक टन मटर की जिले में होती है प्रोसेसिंग.
  • सहजपुर, सम्भागीय और स्थानीय मंडियों से होता है विक्रय.
  • कई व्यापारी किसान के खेतों से सीधे करते हैं खरीदी.

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