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कान्ट्रैक्ट फार्मिंग से बीहड़ में भी किसान की आय हुई दोगुनी

 

अब बड़ी कंपनियों ने किया संपर्क

 

उत्तर प्रदेश के व्यापारियों के लिए उगा रहे अमरूद और पपीता। फसल की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए।

 

नए कृषि कानूनों के विरोध की एक वजह कान्ट्रैक्ट फार्मिंग (अनुबंध पर कृषि) है लेकिन इसे अपनाकर भिंड जिले के किसान विष्णु शर्मा ने महज दो साल में अपनी सालाना आय दो से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर ली।

बीहड़ की जमीन कम उपजाऊ मानी जाती है लेकिन दुल्हागन गांव के विष्णु ने कड़ी मेहनत और नए तरीके अपनाकर अपना जीवन बदल लिया। आमतौर पर यहां किसान सालभर में दो पारंपरिक फसल गेहूं और सरसों ही ले पाते हैं लेकिन विष्णु साल में चार फसलें ले रहे हैं।

 

उत्तर प्रदेश के व्यापारियों से अनुबंध कर फलों का उत्पादन कर रहे हैं। विष्णु का दावा है कि आयुर्वेद दवाओं में इस्तेमाल होने वाली सफेद मूसली के लिए और जैविक (ऑर्गेनिक) सब्जियों के लिए बड़ी कंपनियों ने भी उनसे संपर्क किया है।

 

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विष्णु के पास 70 बीघा जमीन है। वे वर्ष 2017 से 50 बीघा में गेहूं, उड़द, मूंग और तिल्ली की फसल ले रहे हैं। 20 बीघा जमीन को भी खेती लायक बनाने का काम चल रहा है।

उत्तर प्रदेश के इटावा के व्यापारियों के लिए उन्होंने खेत की मेड़ पर पपीते के करीब 300 और अमरूद के 270 पेड़ लगाए हैं। पौधे इटावा के व्यापारी ने ही उपलब्ध कराए और अनुबंध के तहत फल भी वे ही खरीद रहे हैं।

विष्णु को बीते वर्ष अमरूद और पपीते से दो लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी हुई। अनार और आंवले से भी एक लाख रुपये कमाए।

 

पहले रोजगार की तलाश में छोड़ना पड़ा था गांव

पारंपरिक खेती में ज्यादा लाभ न होने के कारण विष्णु ने वर्ष 2000 में गांव छोड़कर नजदीकी फूफ कस्बे में रहकर व्यवसाय किया लेकिन संतुष्टि नहीं मिली। वर्ष 2017 में नए तरीके से खेती करने का विचार बनाया।

इटावा में फल व्यापारियों से संपर्क हुआ। उन्होंने रासायनिक खाद के प्रयोग के बिना उगाए अमरूद और पपीता की मांग की।

विष्णु ने बेटे को भी जैविक खेती का तरीका सीखने उत्तर प्रदेश के कन्नाौज भेजा। अब पूरा परिवार खेत के बीच बने बड़े से घर में एक साथ रहता है।

 

आमदनी बढ़ाने में तकनीक बनी सहारा

खेतों में नकदी फसलें उगाईं तो उनकी सुरक्षा की बड़ी समस्या सामने आई। उन्होंने हरियाणा के किसानों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली झटका तकनीक का सहारा लिया। इसमें खेत के चारों ओर लोहे का पतला तार लगाया जाता है। यह तार विशेष यंत्र से जुड़ा होता है। इसके संपर्क में आने से जानवरों को केवल हल्का करंट का झटका लगता है और सायरन बजता है। इससे बेसहारा जानवर फसलों से दूर रहते हैं। निगरानी के लिए उन्होंने सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए हैं।

 

बिग बाजार के लिए जैविक करेला और गाजर उगाने का प्रस्ताव

विष्णु का कहना है कि पतंजलि ने सफेद मूसली के लिए प्रति बीघा डेढ़ लाख रुपये देने का प्रस्ताव दिया है। बिग बाजार ने जैविक तरीके से करेला और गाजर उगाने के लिए संपर्क किया है। दोनों प्रस्तावों के संबंध में वे तैयारी कर रहे हैं।

 

इनका कहना है

विष्णु शर्मा ने सराहनीय कार्य किया है। उनके नवाचारों से जिले के अन्य किसान भी सीख सकते हैं।

 

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source : naidunia 

 

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