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बागवानी क्षेत्र के विकास के लिए मोदी सरकार ने खोला खजाना

 

 इस वजह से हॉर्टिकल्चर सेक्टर पर दिया जा रहा ध्यान

 

केंद्री की मोदी सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.

 

इसी सिलसिले में अब बागवानी क्षेत्र के लिए सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है.

 

केंद्री की मोदी सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसी सिलसिले में अब बागवानी क्षेत्र के लिए सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है. इ

ससे न सिर्फ किसानों को लाभ होगा बल्कि उत्पादकता और उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ने से देश भी इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ता जाएगा.

यहीं कारण है कि केंद्र की मोदी सरकार ने बागवानी क्षेत्र के लिए 2250 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. यह राशि वर्ष 2021-22 में खर्च की जानी है.

 

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बागवानी के अंतर्गत फल, सब्जियां, जड़ और कंद वाली फसलों के अलावा मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधे, नारियल और काजू आते हैं.

इस क्षेत्र के लिए 2250 करोड़ रुपए का आवंटन केंद्र सरकार की ओर से समर्थित ‘मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर’ यानी एमआईडीएच योजना के अंतर्गत किया गया है.

इस योजना को कृषि मंत्रालय 2014-15 से लगातार कार्यान्वित कर रहा है. इसका मकसद बागवानी क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं को साकार करना है.

 

उत्पादन के मामले में कृषि क्षेत्र से आगे

इस क्षेत्र का आवंटन पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा है.

सरकारी कोशिशों और किसानों की मेहनत की वजह से आज देश में बागवानी क्षेत्र का उत्पादन कृषि क्षेत्र के उत्पादन से आगे निकल गया है.

2019-20 के दौरान देश में 2 करोड़ 56 हजार हेक्टेयर रकबे पर बागवानी की फसलें थीं.

इस रकबे पर अब तक का रिकॉर्ड 32 करोड़ 7 लाख 70 हजार टन पैदावार हुई. एमआईडीएच ने बागवानी फसलों की रकबा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

 

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2050 तक के मांग को ध्यान में रखते हुए हो रही तैयारी

2014-15 से लेकर 2019-20 तक बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 9 प्रतिशत और पैदावार 14 प्रतिशत तक बढ़ गई है.

2050 तक देश में 65 करोड़ टन फलों और सब्जियों की मांग होगी. ऐसे में उत्पादन और उत्पादकता, दोनों को बढ़ाया जाना जरूरी है.

इस दिशा में कई तरह की कोशिशें हो रही हैं, जिनमें सामग्री उत्पादन की रोपाई पर ध्यान देना, क्लस्टर विकास कार्यक्रम, कृषि अवसंरचना कोष के माध्यम से लोन मुहैया करना और एफपीओ का गठन व विकास शामिल है.

 

मिशन से हुए ये लाभ

इसके अलावा इस मिशन ने खेतों में इस्तेमाल की जाने वाली सर्वोतम प्रणालियों को बढ़ावा दिया है. इससे उत्पादकता और उत्पादन की गुणवत्ता में काफी सुधार आया है.

एमआईडीएच के लागू होने से न केवल बागवानी क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ी है बल्कि इसने भूख, अच्छा स्वास्थ्य, गरीबी से मुक्ति और लैंगिक समानता जैसे लक्ष्यों को हासिल करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

हालांकि कटाई के बाद होने वाले नुकसान, प्रबंधन और सप्लाई चेन की बुनियादी ढांचे में अभी कई समस्याएं मौजूद हैं, लेकिन इन्हें भी दूर करने का काम चल रहा है.

 

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