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समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए 21 लाख से अधिक किसानों ने करवाया पंजीयन

 

गेहूं की MSP खरीद के लिए पंजीकरण

 

प्रतिवर्ष केंद्र सरकार के द्वारा 23 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किये जाते हैं, फसलों को इन दामों पर फिर राज्य सरकारों के द्वारा किसान पंजीकरण करवा कर ख़रीदा जाता है |

मध्यप्रदेश सरकार ने इस वर्ष राज्य के किसानों से गेहूं, चना, मसूर एवं सरसों समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए पंजीकरण मांगे थे, जो अभी चल रहे हैं |

पूर्व में गेहूं के पंजीकरण के लिए अंतिम तिथि 20 फ़रवरी थी जिसे बढाकर अब 25 फरवरी तक कर दिया गया है | जिन किसानों ने अभी तक पंजीकरण नहीं करवाया है वह किसान 25 फ़रवरी तक पंजीयन करवा सकते हैं |

 

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21 लाख से अधिक किसानों ने करवाया पंजीकरण

रबी विपणन वर्ष 2021-22 में समर्थन मूल्य पर गेहूँ बेचने के लिये 21 लाख 6 हजार किसानों ने ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन कराया गया है जो कि विगत वर्ष की तुलना में एक लाख 59 हजार अधिक है।

इस वर्ष 125 लाख मेट्रिक टन गेहूँ, 20 लाख मेट्रिक टन दलहन और तिलहन के भंडारण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उपार्जन अनुमान के अनुसार अधिकारियों को अनाज के भंडारण, परिवहन, बारदाना और वित्तीय व्यवस्था की तैयारी विभाग द्वारा की जा रही है।

 

गेहूं के रकबे में आई 4 प्रतिशत की कमी

किसान पंजीयन का कार्य प्रदेश के 3518 केन्द्रों पर किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त गिरदावरी किसान एप, कॉमन सर्विस सेन्टर, कियोस्क पर भी किसानों को पंजीयन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

विगत वर्ष 45 लाख 7 हजार हेक्टेयर रकबा गेहूँ के लिए पंजीकृत हुआ था। इस वर्ष अभी तक 42 लाख 87 हजार हेक्टेयर रकबा पंजीकृत हो चुका है।

अधिकारियों ने जानकारी दी कि विगत वर्ष की तुलना में गेहूँ का रकबा 4 प्रतिशत कम हुआ है। सभी किसानों का पंजीयन हो सके इसके लिए पंजीयन की तिथि 25 फरवरी तक की बढ़ाई गई है।

 

15 मई तक होगी सरकारी खरीद

सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद भदौरिया ने रबी फसलिन के उपार्जन की समीक्षा की उन्होंने कहा कि पंजीकृत किसानों से 15 मई तक उपार्जन पूरा करने का प्रयास किया जाएगा ।

प्रदेश में इस बार गेहूँ का उपार्जन 22 मार्च से इंदौर एवं उज्जैन संभाग में तथा 1 अप्रैल से शेष संभागों में किया जाएगा।  उन्होंने निर्देश दिए कि उपार्जित अनाज को यथासंभव शीघ्र भंडारण कराया जाए

साथ ही केन्द्रों पर अनाज की सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था हो, जिससे अनाज का एक भी दाना बर्बाद न हो। अनाज को पक्के चबूतरे पर ही रखा जाए ताकि अचानक होने वाली बूंदा-बांदी से भी अनाज सुरक्षित रह सके। 

 

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source : kisansamadhan

 

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