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400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ी है सरसों की MSP

 

तिलहन की अगेती खेती कर कमा सकते हैं अधिक मुनाफा

 

किसानों को मिले अच्छे भाव और न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के कारण सरकार को उम्मीद है कि इस बार सरसों का उत्पादन दोगुना से भी अधिक हो सकता है.

एमएसपी में बढ़ोतरी और बाजार भाव को देखते हुए किसान भी इस बार ज्यादा रकबे में सरसों की खेती करने की योजना बना रहे हैं.

 

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने रबी सीजन की प्रमुख फसल सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है.

इस साल सरसों की एमएसपी 4650 रुपए हैं, जो अगले सीजन के लिए 5050 रुपए तय कर दी गई है.

इस पूरे साल रिकॉर्ड उत्पादन के बाद भी सरसों के दाम कम नहीं हुए.

अभी भी यह 9000 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक के भाव पर बिक रही है.

 

किसानों को मिले अच्छे भाव और न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के कारण सरकार को उम्मीद है कि इस बार सरसों का उत्पादन दोगुना से भी अधिक हो सकता है.

एमएसपी में बढ़ोतरी और बाजार भाव को देखते हुए किसान भी इस बार ज्यादा रकबे में सरसों की खेती करने की योजना बना रहे हैं.

कुछ किसानों ने सरसों की अगेती खेती के लिए खेत भी खाली छोड़ रखा है.

 

कम समय में तैयार होने वाली किस्मों से कमा सकते हैं अधिक मुनाफा

अगर आप भी सरसों की अगेती खेती करने वाले हैं तो हम आपको इससे जुड़ी जरूरी बातें और उन्नत किस्मों के बारे में बता रहे हैं.

इससे आपको फायदा होगा और सही बीज का चुनाव कर ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हासिल कर सकेंगे.

दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुवांशिकी संस्थान के कृषि विशेषज्ञ डॉ नवीन सिंह कहते हैं कि किसान भाई कम समय में पककर तैयार हो जानी वाली भारतीय सरसों की अच्छी प्रजाति लगाकर मुनाफा कमा सकते हैं.

 

डॉ सिंह बताते हैं कि पूसा ने कुछ किस्मों को विकसित किया है, जो जल्द पककर तैयार हो जाती हैं और उत्पादन भी अधिक मिलता है.

उन्होंने बताया कि किसान भाई पूसा अग्रणी किस्म की खेती कर सकते हैं.

यह 110 दिन में पक कर तैयार हो जाती है और एक हेक्टेयर में 13.5 क्विंटल पैदावार मिलती है.

 

इन किस्मों की खेती से 15-20 क्विंटल मिलती है पैदावार

इसके अलावा, पूसा तारक और पूसा महक किस्मों की अगेती खेती हो सकती है.

ये दोनों किस्में करीब 110-115 दिन के बीच पक जाती हैं और प्रति हेक्टेयर औसतन 15-20 क्विंटल पैदावार हासिल होती है.

उन्होंने एक और किस्म के बारे में जानकारी दी, जो सबसे कम समय में पककर तैयार हो जाती है.

 

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि पूसा सरसों- 25 नाम की किस्म 100 दिन में तैयार हो जाती है.

एक हेक्टेयर में पूसा सरसों- 25 की बुवाई कर 14.5 क्विंटल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.

इसके अलावा एक और किस्म है, पूसा सरसों- 27. इसे पकने में 110-115 दिन का समय लगता है और प्रति हेक्टेयर 15.5 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है.

 

एक साल में ले सकते हैं तीन फसल

उन्होंने बताया कि इन सभी किस्मों के अलावा एक सबसे नवीनत किस्म हमने तैयार की है, जिसका नाम है पूसा सरसों- 28.

यह 105-110 दिन में पक जाती है और 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार हासिल होती है.

डॉ नवीन सिंह ने बताया कि इन सभी किस्मों की 15 सितंबर के आस पास बुवाई की जा सकती है और जनवरी के पहले हफ्ते तक इनकी कटाई हो जाती है.

 

कम अवधि में पकने वाली अगेती फसलों के लाभ के बारे में बताते हुए डॉ सिंह ने कहा कि सरसों की पैदावार माहू या चेपा कीट के प्रकोप से बच जाती है. इसके अलावा, ये फसलें बीमारी रहित भी हैं.

इसके अलावा इन किस्मों की बुवाई कर किसान अपने खेत में तीन फसल एक साल में ले सकते हैं.

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