हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

नींबू ही नहीं इन 5 फसलों की खेती से किसान कम लागत में कमा सकते हैं अधिक मुनाफा

 

कमा सकते हैं अधिक मुनाफा

 

नींबू के भाव आसमान छू रहे हैं, लेकिन नींबू के अलावा कई अन्य फसलें भी है जो वर्ष भर महंगे दाम में बिकती है इनकी खेती करना भी आसान है, ऐसे ही 5 फसलों के बारे में जानिए।

 

खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए किसानों को परंपरागत खेती से हटकर कुछ नई प्रकार से खेती की तकनीक से लेकर फसलों का चयन करना होगा।

परंपरागत खेती के अलावा उद्यानिकी एवं अन्य फसलों की खेती भी किसानों को अच्छा मुनाफा देती है।

इसका ताजा उदाहरण नींबू की खेती है नींबू के दाम आसमान को छू रहे हैं इस बीच यह ध्यान देने वाली बात है कि नींबू के अलावा इन पांच फसलों से भी किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

 

मिर्ची की खेती

मिर्ची एक प्रकार की मसाला फसल है। जो भारत में प्रमुख रूप से उगाई जाती है। इस फसल को भारत के कई राज्यों में उगाई जाती है।

यह फसल राजस्थान में प्रमुख रूप से उगाई जाती है। जिनसे कुल उत्पादन का 80% भाग प्राप्त होता है।

मिर्ची की खेती वर्षा, शरद, ग्रीष्म तीनों ऋतुओं में की जाती है। इस कारण मिर्ची की उन्नत खेती करके किसान साल भर होना था कमा सकते हैं।

 

अश्वगंधा की खेती

अश्वगंधा औषधीय फसलों की खेती में प्रमुख स्थान रखती है। वर्तमान में किसानों का औषधीय फसलों की ओर झुकाव बढ़ने लगा है।

औषधीय फसलों की खेती करके कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है, जिससे किसानों का निश्चित तौर पर मुनाफा बढ़ेगा।

औषधीय फसलों के विषय में खास बात यह है कि अन्य फसलों की तुलना मे प्राकृतिक आपदा का खतरा भी इन पर कम होता।

 

अमरूद की खेती

अमरूद भारत का एक लोकप्रिय फल है। क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से देश में उगाये जाने वाले फलों में अमरूद का चैथा स्थान है।

इसकी बहुउपयोगिता एवं पौष्टिकता को ध्यान मे रखते हुये लोग इसे गरीबों का सेब कहते हैं।

यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक फल है। इसमें विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है।

 

बेबीकॉर्न (मक्का) की खेती

बेबीकॉर्न मक्का की ही एक प्रजाति है, लेकिन इसकी उपयोगिता के आधार पर बेबीकार्न नाम दिया गया है। इसकी मांग बाजार में अच्छी रहती है।

बेबीकॉर्न का उपयोग सलाद, सूप, सब्जी, अचार एवं कैंडी, पकौड़ा, कोफ्ता, टिक्की, बर्फी, लड्डू, हलवा, खीर इत्यादि के रूप में होता है।

 

बेबीकॉर्न में फास्फोरस भरपूर मात्रा उपलब्ध होता है। इसके लिए अतिरिक्त इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्सियम, लौह व विटामिन भी उपलब्ध हैं।

कोलेस्ट्रोल रहित होने एवं रेशों की अधिकता के कारण यह एक निम्न कैलोरीयुक्त आहार है। यह ह्रदय रोगियों के लिए काफी लाभदायक है।

 

बेबीकॉर्न की खेती के लिए पर्याप्त जीवांशयुक्त दोमट मृदा अच्छी होती है।

पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा शेष जुताई देसी हल/रोटावेटर या कल्टीवेटर द्वारा करके पाटा लगाकर खेत को तैयारी कर लेना चाहिए।

बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमी के साथ–साथ खेत पलेवा करके तैयार करना चाहिए।

 

सूरजमुखी की खेती

सूरजमुखी के तेल की डिमांड अधिक होने के कारण इसका भाव बाजार में अच्छा बना रहता है।

वहीं प्रति बीघा पैदावार भी अच्छी होती है साथ ही रखरखाव एवं सिंचाई भी कम करना पड़ती है ऐसे में किसान इसकी खेती के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।

हम इसकी खेती के बारे में विस्तार से बताएंगे। पिछले कुछ सालों से फूलों की खेती यानी फ्लोरीकल्चर की डिमांड बढ़ी है।

कई किसान ट्रैडीशनल फार्मिंग छोड़कर नए सिरे से खेती कर रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं।

 

सूरजमुखी की खेती के लिए किसी खास तरह की जमीन की जरूरत नहीं होती है।

हालांकि, दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। इसकी बुआई के लिए फरवरी मार्च का महीना सबसे बढ़िया होता है।

अगर किसी कारण देर हो जाती है तो किसी भी मौसम में इसकी बुआई की जा सकती है।

हां यह अवश्य ध्यान देना होगा की सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो।

source : choupalsamachar

यह भी पढ़े : PM Kisan : eKYC की आखिरी तारीख एक बार फिर बढ़ाई गई

 

यह भी पढ़े : पीएम किसान सम्मान निधि राशि का भुगतान आधार से लिंक खातों में ही होगा

 

शेयर करे