सोयाबीन के बीज
न केवल पिछले खरीफ सीजन में हुए नुकसान की भरपाई के लिए. बल्कि आने वाले सीजन में भी बीजों की कमी न हो.
इसके लिए भी किसान इस साल सोयाबीन का रकबा बढ़ा रहे हैं. इसकी एक वजह अच्छा दाम भी है.
कृषि विभाग ने इसकी खेती के लिए किसानों को खास सलाह दी है.
रबी सीजन में हुए नुकसान की भरपाई के लिए ही नहीं बल्कि आने वाले सीजन में बीजों की कमी से बचने के लिए भी सोयाबीन की फसल का रकबा इस साल किसानों ने बढ़ा दिया है.
हालांकि सोयाबीन खरीफ सीजन की मुख्य फसल है,लेकिन इस साल गर्मी के मौसम में रिकॉर्ड बुवाई की गई है.
खरीफ सीजन के दौरान बीज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किसानों ने अभी सर उचित प्रक्रिया और उचित सावधानियों के साथ बीज बो रहे है.
खरीफ सीजन के दौरान कृत्रिम कमी और धोखाधड़ी बड़े पैमाने पर होती है. इसलिए कृषि विभाग ने किसानों से सोयाबीन को उत्पादन के लिए नहीं बल्कि बीज की उपलब्धता के लिए बोने की अपील की है.
बीज तैयार करते समय रखे विशेष ध्यान
कृषि विभाग ने किसानों सलाह दी है कि सोयाबीन को बुवाई के समय से ही प्रयोग में लाने के लिए उचित सावधानी बरतने की जरूरत है.
इसलिए 20 से 25 दिन की फसल होने पर बिना खरपतवार के सोयाबीन की खेती करना आवश्यक है.
फूल आने से पहले खेती करनी चाहिए अन्यथा सोयाबीन की जड़ों को नुकसान होगा.
सोयाबीन की फली भरने की स्थिति में पठानी को पानी देना होगा किसानों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि पानी खेतों में जमा न हो पाय.
हालांकि ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की उत्पादकता कम होती है, लेकिन बीज के साथ उचित देखभाल की जरूरत पड़ती है.
उत्पादकता में कमी और बढ़ते कीट प्रकोप
गर्मियों में सोयाबीन की पैदावार कम होती है इसलिए किसानों की भावना है कि अभी उत्पादन के बजाय कम से कम खरीफ बीज की समस्या को खत्म किया जाए सोयाबीन पर लीफ ब्लाइट लार्वा, घाट लार्वा और फलियां बेधक लार्वा का प्रकोप बढ़ जाता है.
इसलिए कृषि विभाग की सलाह के अनुसार छिड़काव आवश्यक है हालांकि अब फसल वृद्धि के लिए अनुकूल माहौल है और किसान इसके लिये कड़ी मेहनत करते देख रहे है.
कृषि विभाग का प्रशिक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण
इस साल पहली बार किसानों ने गर्मी की फसल ली है इसलिए बुवाई से लेकर कटाई तक मार्गदर्शन की जरूरत थी.
कृषि विभाग ने इसमें पहल की है और कृषि विभाग का मार्गदर्शन किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है,और अभी फसल फल-फूल रही है.
कृषि अधीक्षक दत्तात्रेय गावस्ने ने कहा है कि यह बदलाव इसलिए हुआ है क्योंकि अधिकारियों ने बीज उत्पादन के बारे में सलाह दिया है.
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