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एक कोशिश ने बदल दी खेतों में मजदूरी करने वाली महिलाओं की जिंदगी

 

अब कर रही हैं अच्छी कमाई

 

जानिए ऐसी महिलाओं के बारे में जो पहले दूसरों के खेतों में मजदूरी किया करती थीं.

लेकिन आज वो खुद का कारोबार करके अच्छी कमाई कर रही हैं.

 

यह कहानी है जलगांव (महाराष्ट्र) के वडाला-वडाली गांव की.

यहां अपनी लगन और कोशिश से दूसरों के खेतों में काम करने वाली महिलाएं उद्यमी बन गई हैं.

यूएन वूमेन, स्फोर्स टेक्नोलॉजी और चैतन्य एनजीओ की वजह से यह संभव हुआ.

इसकी मदद से गांव की महिलाओं को सौर ऊर्जा से चलने वाले खाद्य प्रसंस्करण उपकरण उपलब्ध कराए गए.

जिसकी मदद से वो फूड प्रोसेसिंग करके अच्छा पैसा कमा रही हैं.

 

गांव की तीस महिलाएं इस काम के साथ जुड़ी हुई हैं. वो एक साल पहले दूसरों के खेतों में मज़दूरी किया करती थीं.

लेकिन आज इस गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और खुद का बिजनेस चला रही हैं.

 

यूएन वूमेन स्फोर्स की सह-संस्थापक निधि पंत ने टीवी-9 डिजिटल से बातचीत में कहा कि ऐसी महिलाएं जो बेरोजगार थीं या खेतों में काम किया करती थीं, उन्हें सौर ऊर्जा से चलने वाले फूड प्रोसेसिंग उपकरण मुहैया कराए गए हैं.

इससे तमाम खाद्य पदार्थ तैयार किए जा सकते हैं. सौर ऊर्जा से चलने वाले फूड प्रोसेसिंग उपकरण के साथ हम इन महिलाओं को ट्रेनिंग देते हैं.

फूड प्रोसेसिंग के जरिये महिलाएं घर पर ही रहकर कमाई कर रही हैं.

 

किस तरह होता है काम?

सबसे पहले फल और सब्जियों को अच्छी तरह से साफ करते हैं. फिर उसे मशीनों द्वारा कट किया जाता हैं.

इसके बाद आखिरी में सोलर पावर पर डी हाइड्रेटे किया जाता है. फिर सारे सूखे हुए उत्पाद का अच्छे तरीके से पैकेजिंग किया जाता है.

फिर जहां से ऑर्डर आए होते हैं, उन्हें वहां भेज दिया जाता है.

 

कितना मिलता है पैसा?

इस काम को करने वाली संगीता बताती हैं कि पहले हम खेतों में मेहनत मजदूरी करके पैसा कमाते थे.

अब सोलर पावर से हम घर पर ही काम करके पैसा कमा रहे हैं.

उजाला पाटिल बताती हैं कि पहले वो साल भर में 25 हजार तक कमाया करती थीं, वो भी ठीक से नहीं मिल पाता था.

फिर हम इस एनजीओ से जुड़े और अब पांच, छ महीने में पचास हजार रुपये तक की कमाई कर लेते हैं.

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