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प्याज व लहसुन फसल – बदलते मौसम में रोग और कीटो से रहे सावधान

 

प्याज व लहसुन फसल

 

प्याज व लहसुन फसल पर बदलते मौसम का प्रभाव ज्यादा पड़ता है।

इस दौरान कीट रोग से नुकसान होने की संभावना अधिक रहती है।

 

लगातार मौसम में बदलाव होने से इस समय प्याज व लहसुन फसल में कई तरह के रोग लगने की संभावना बनी रहती है।

अगर समय रहते इनका प्रबंधन नहीं किया गया तो प्याज व लहसुन की खेती करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

प्रमुख कृषि वैज्ञानिक प्याज व लहसुन की खेती करने वाले किसानों को सलाह देते हैं कि मौसम की अनुकूलता के आधार पर दोनों फसलों में झुलसा, मृदुरोमिल, फफूंदी, बैगनी धब्बा रोग और थ्रिप्स कीट से सावधान रहें।

 

प्याज व लहसुन फसल – ऐसे पहचाने रोगों को

प्याज एवं लहसुन की फसल में लगने वाले झुलसा रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां एक तरफ पीली और दूसरी तरफ हरी रहती है।

वही मृदुरोमिल रोग में पत्तियों की सतह पर बैंगनी रोएंदार बड़वार दिखाई पड़ती है जो बाद में हरा रंग लिए पीली हो जाती है।

 

ऐसे करें रोकथाम

कृषि वैज्ञानिक किसानों को सलाह देते हैं कि झुलसा रोग एवं मृदुरोमिल रोग की रोकथाम के लिए मैंकोज़ेब 75 डब्ल्यूपी 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

वहीं बैंगनी धब्बा रोग में प्रभावित पत्तियों और तनों पर छोटे-छोटे गुलाबी रंग के धब्बे पड़ जाते हैं, जो बाद में भूरे होकर आंख की आकार के हो जाते हैं, इनका रंग बैंगनी हो जाता है।

इस रोग के प्रबंधन के लिए डीफेनोकोनाजोल 2.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

 

थ्रिप्स कीट के प्रकोप से ऐसे रहे सावधान

थ्रिप्स कीट का प्रकोप भी ऐसे मौसम में अधिक होता है। यह किट छोटे पीले रंग के होते हैं।

इनके शिशु व प्रोढ़ दोनों ही पत्तियों का रस चूसते हैं, जिसके कारण पत्तियों पर हल्के हरे रंग के लंबे-लंबे धब्बे दिखाई पड़ते हैं, जो बाद में सफेद रंग के हो जाते हैं।

इनके प्रबंधन के लिए साइपरमैथ्रीन 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

 

किसान यह जरूर ध्यान दें

प्याज व लहसुन की पत्तियां चिकनी होती है।

यही वजह है कि उस पर दवा चिपक नहीं पाती, इसलिए चिपचिपा पदार्थ ट्राईट्रोन या सेंडोविट एक मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, ताकि पत्तियों पर दवाई चिपक सके एवं रोग का निदान हो सके।

 

प्याज व लहसुन फसल में दवाओं के छिड़काव के कम से कम 2 हफ्ते बाद ही इनको खाने में प्रयोग करें।

दवा के छिड़काव के बाद नहाए और कपड़ों को अच्छी तरह साबुन से धो लें।

source : choupalsamachar

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