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जैविक खेती से लहलहा रही फसल

 

बेटे को दे रहे साठ हजार रुपये महीना

 

हाईब्रिड खेती के युग में जब लोग बिना किसी की सेहत की चिंता किए ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करके अधिक से अधिक लाभ कमाने में लगे हुए हैं ऐसे में उमरिया जिले के दुब्बार पाली के किसान हरिश्चन्द्र तिवारी जैविक खेती कर रहे हैं।

जैविक खेती से उत्पादित अनाज और सब्जियों से जहां वे लोगों की सेहत का ख्याल रख पा रहे हैं वहीं उन्हें इससे अच्छी खासी कमाई भी हो रही है। उन्हें होने वाली कमाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनका एक बेटा उमेश तिवारी जो विदेश में मैकेनिकल इंजीनियर थे,उनकी नौकरी छुड़वाकर खेती किसानी में लगाया , और वे उमेश को महीने में 60 हजार रुपये वेतन के रूप में देते है।

हरिश्चन्द्र तिवारी कहते हैं कि जैविक खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि उन्हें शून्य बजट पर खाद उपलब्ध हो जाती है।

 

आठ साल से कर रहे जैविक खेती

चंदिया तहसील क्षेत्र के ग्राम दुब्बार निवासी हरिश्चन्द्र तिवारी का कहना है कि जैविक खाद से खेती करना किसानों के लिए ज्यादा लाभ दायक होता है, और खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता हैं।

उन्होंने बताया कि वे खुद पिछले आठ सालों से 51 एकड़ जमीन पर जैविक विधि से खेती कर रहे हैं। खरीफ के सीजन में उन्होने तीस एकड़ जमीन पर धान की खेती की थी और लगभग साढ़े चार सौ क्विंटल धान तैयार किया था। वर्तमान में गेहूं की खेती भी लहलहा रही है।

 

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इस तरह बनाते हैं खाद

हरीश चंद्र तिवारी ने बताया कि वे डक्टर सुभाष पालेकर की पद्धति जो जीरो बजट पर आधारित है को अपनाकर जैविक खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक एकड़ के लिए जैविक खाद बनाने के लिए देशी गाय का 100 किलो गोबर, 10 लीटर गौ मूत्र, 2 किलो गुड़, 2 किलो बेसन, 500 ग्राम बरगद के पेड़ की मिट्टी का उपयोग करते हैं।

इन सभी चीजों को वे पांच दिनों में इकट्ठा करते हैं। उसके बाद पेड़ के नीचे जूट के बोरे से ढक कर रख देते हैं। खाद तैयार होने के बाद उसका उपयोग खेती किसानी में करते हैं। खाद बनाने के लिए जुटाए जाने वाले संसाधनों में जो थोड़ा बहुत खर्चा होता है उसे वे शून्य ही मानते हैं।

 

खेती से जुटा लिए संसाधन

जैविक खेती से लाभ अर्जित करने के बाद किसान हरिश्चंद्र तिवारी के पास दो ट्रैक्टर, तीन थ्रेशर, तीन कल्टीवेटर, चार कैच मेन्ट, तीन ट्रैक्टर रिवर, रोपा लगाने वाली मशीने हैं।

उनका कहना है कि यह सभी मशीनें उन्होंने जैविक खेती से अर्जित लाभ से ही हांसिल की है। इसके अलावा कृषि विभाग द्वारा संचालित हितग्राही मूलक योजनाओ का लाभ लिया जा रहा है।

भविष्य के प्रति हरिश्चन्द्र तिवारी इतने आशान्वित हैं कि वे कहते हैं आने वाला समय जैविक खेती का ही होगा इसलिए वे इसे और बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

 

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source : naidunia

 

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