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किसानों के बैंक अकाउंट में खाद सब्सिडी देने की क्या है तैयारी ?

 

सरकार ने दिया ये जवाब

 

कंपनियों की बजाय खाद सब्सिडी डायरेक्ट किसानों के बैंक अकाउंट में देने के लिए मंथन जारी है. लेकिन अब तक इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. जबकि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग भी किसानों को डीबीटी के जरिए सब्सिडी देने की सिफारिश कर चुका है.

सरकार ने लोकसभा में बताया है कि इस मुद्दे पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. सरकार ने बताया है कि इस मसले की व्यापक रूपरेखा तैयार करने के लिए मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की गई है.

 

कब-कब हुई मीटिंग

सचिवों की समिति ने 16 जनवरी 2020 को आयोजित अपनी बैठक में अन्य बातों के साथ-साथ खाद सब्सिडी (Fertilizer subsidy) किसानों को देने का स्वरूप तैयार करने के लिए उर्वरक और कृषि विभाग के सचिवों की सह-अध्यक्षता में एक नोडल समिति गठित करने की सिफारिश की.

पिछले साल 1 जून को ही ऐसी समिति गठित कर दी गई. इस कमेटी ने पिछले साल 25 जून और 28 अक्टूबर को दो बैठकें कीं. यही नहीं उर्वरक विभाग ने इससे पहले 4 मई को ही रसायन और उर्वरक मंत्री की अध्यक्षता में किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट देने के लिए एक समूह गठित कर लिया था.

 

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उर्वरक मंत्री की अध्यक्षता वाला समूह क्या करेगा ?

यह समूह खाद की डीबीटी के लिए किसानों के चयन और उनकी पात्रता के लिए मानदंड निर्धारण करेगा. किसानों के खातों में ट्रांसफर की जाने वाली रकम के निर्धारण के लिए भी मानदंड तय करने का काम इसी कमेटी के पास है. इस कार्यसमूह ने सभी पक्षों के साथ कई बैठकें आयोजित की हैं.

 

बीजेपी शासित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों किसानों के एक कार्यक्रम में कहा कि खाद सब्सिडी में भ्रष्टाचार का खेल होता है. इसलिए यह पैसा खाद कंपनियों की जगह सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में डाला जाना चाहिए.

मैं प्रधानमंत्री जी से आग्रह करुंगा कि सब्सिडी कंपनियों की जगह किसानों के खाते में नगद डाल दी जाए. फिर किसान बाजार में जाकर खाद खरीदे. किसी भी हालत में ये सब्सिडी खाने का खेल खत्म करना है.

 

कितनी सब्सिडी

खाद सब्सिडी पर हर साल लगभग 75 हजार करोड़ रुपये खर्च होते हैं. जिनमें आधे से अधिक हिस्सा यूरिया (Urea fertilizer) का होता है.

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक 2019-20 में 69,419 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई.  अगर यह पैसा पीएम किसान निधि स्कीम में रजिस्टर्ड किसानों में बांटा जाए तो हर साल अन्नदाताओं को 6000-6000 रुपये की और मदद मिल सकती है.

 

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source : tv9hindi.com

 

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