हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

खेतों में लगाएं मिर्ची की बंपर पैदावार वाली किस्में

 

करें जबरदस्त कमाई

 

काशी मिर्च प्रजाति के पौधे लगभग 70 से 100 से.मी. लंबे और सीधे होते हैं.

इसके फलों की लंबाई 10 से 12 सेंमी होती है, तथा 1.5 से 1.8 से.मी. मोटे होते हैं.

इसका रंग हरा और होता है. 50 से 55 दिनों में इसकी पहली तुड़ाई कर सकते हैं.

 

मिर्च उत्पादन किसानों के लिए बेहद फायदेमंद खेती है. देश में इसकी मांग भी खूब होती है. यह महत्वपूर्ण मसाला और नगदी फसल है.

पर मिर्च के लिए तीखा होना जरूरी है, तब ही इसके अच्छे दाम मिलते हैं. भारत में हरी औऱ लाल दोनों प्रकार की मिर्च की खेती की जाती है.

यहां के मौसम में सालोंभर मिर्च की खेती होती है. वर्ष भर इसकी मांग रहती है. निर्यात के मामले में भारत एक बड़ा मिर्च निर्यातक देश है.

इसलिए हमेशा बाजार में इसकी मांग बनी रहती है. इसकी खेती के लिए किसानों के पास महत्वपूर्ण जानकारी होनी चाहिए.

किसानों को यह पता होना चाहिए की इसकी कौन से प्रभेद का इस्तेमाल करना चाहिए.

 

देश के कृषि वैज्ञानिकों ने मिर्च के कई प्रभेद तैयार किए हैं.

यह हैं मिर्च कि उन्नत किस्में.

 

काशी सुर्ख

काशी मिर्च प्रजाति के पौधे लगभग 70 से 100 से.मी. लंबे और सीधे होते हैं.

इसके फलों की लंबाई 10 से 12 सेंमी होती है, तथा 1.5 से 1.8 से.मी. मोटे होते हैं. इसका रंग हरा और होता है.

50 से 55 दिनों में इसकी पहली तुड़ाई कर सकते हैं. यह फल सूखे एवं लाल दोनों प्रकार के लिए उत्तम किस्म है |

हरी मिर्च का उत्पादन 20 से 25 टन एवं सूखी लाल मिर्च 3 से 4 टन प्रति हैक्टेयर तक मिल जाती है .

 

काशी अर्ली

काशी अर्ली प्रजाति की मिर्च के पौधे 60 से 75 से.मी. लंबे तथा छोटी गांठों वाले होते हैं.

इसके फल 7 से 8 से.मी. लंबे, सीधे 1 से.मी. मोटे तथा गहरे होते हैं .

पौध रोपण के मात्र 45 दिनों में प्रथम तुड़ाई प्राप्त हो जाती है, जो सामान्य संकर किस्मों से लगभग 10 दिनों पहले होती है.

हरे फल का उत्पादन 300 से 350 क्विंटल प्रति हैक्टेयर प्राप्त होता है.

 

पूसा सदाबहार

मिर्च कि यह किस्म रोग अपरोधी हैं, इस पौधे में पत्ती मोड़कर विषाणु, फल–सडन, थ्रिप्स एवं माइटस आदि कीट और रोग नहीं लगते हैं.

इसके पौधे लंबे और फल गुच्छों में लगते हैं. इस किस्म से मिर्च का उत्पादन 8 से 10 टन प्रति हैक्टेयर मिल जाता है.

 

पूसा ज्वाला

इसके फल लंबे, पतले, मुड़े हुए, कच्ची अवस्था में हरे एवं पकने पर गहरे लाल होते हैं.

इस किस्म में भी कई रोगों से अवरोधक क्षमता होती है. यह किस्म थ्रिप्स, माइट एवं माहू के प्रति सहनशील होती है.

चरकाहट अधिक होने एवं छिलका पतला होने के कारण निर्यात के लिए उत्तम किस्म है.

हरे फलों की औसत उपज 90 से 100 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है.

 

काशी अनमोल

इस किस्म के पौधे सिमित बढवार वाले 40 से 50 से.मी. और छातानुमा होते हैं.

फल ठोस सीधे एवं 6 से 7 से.मी. लंबे होते हैं . हरे फल के उत्पादन के लिए अच्छी किस्म है.

फलों की औसत उपज 200 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है.

source

 

यह भी पढ़े : ये हैं प्याज की 5 सबसे उन्नत किस्में

 

यह भी पढ़े : खेत से ब्रोकली तोड़ने के मिलेंगे 63 लाख सालाना

 

यह भी पढ़े : खेत मे भर गया इतना पानी, कि नाव से मक्का निकलना पड़ा

 

शेयर करे