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एक बार पेड़ लगाओं, 40 साल तक कमाओं, 50 फीसदी सब्सिडी पाओं

 

बांस की खेती

 

किसान अब बंजर और अनुपयोगी जमीन से भी लाखों रुपए की कमाई कर सकेगा।

बांस की खेती ने किसानों की आय में वृद्धि के नए अवसर उपलब्ध कराए हैं। एक बार बांस के पेड़ लगाने पर 40 साल तक कमाई होती रहेगी।

बांस की खेती के फायदे को देखते हुए सरकार ने बांस की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है।

सरकार अब बांस की खेती करने वाले किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी पर बांस के पौधे उपलब्ध कराएगी।

 

मध्यप्रदेश राज्य बांस मिशन : ऐसे बढ़ेगी किसानों की आय

बांस की बहुउपयोगिता को देखते हुए मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने किसानों की आय में वृद्धि के लिए बांस की खेती को कारगर माना है।

मध्यप्रदेश राज्य बांस मिशन के माध्यम से बांस की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

बांस की खेती अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभदायक है और बंजर और अनुपयोगी भूमि में इसकी खेती की जा सकती है।

बांस की फसल किसी भी मौसम में खराब नहीं होती है।

मध्यप्रदेश सरकार बांस की खेती करने वाले किसानों को बांस के पौधे लगाने पर 50 फीसदी की सब्सिडी दे रही है।

किसान सरकार की इस योजना का फायदा उठाकर आधी लागत में बांस की खेती कर सकते हैं।

बांस की खेती का मुख्य फायदा यह है कि एक बार बांस का पौधा लगाने के बाद 40 साल तक बांस मिलते रहते हैं जिससे किसान की लगातार आमदनी होती रहती है।

 

 

एक हेक्टेयर में लग सकते हैं 625 पौधे

मध्यप्रदेश में बांस मिशन को सफल बनाने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान भी समय-समय पर अधिकारियों को निर्देशित कर रहे हैं।

दिसंबर 2021 में एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की समीक्षा के दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि बांस मिशन को सफल बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा किसानों को योजना से जोड़ा जाए।

मध्यप्रदेश के प्रमुख वन सचिव अशोक वर्णवाल के अनुसार बांस की फसल एक बार लगाने के बाद हर साल इसका उत्पादन प्राप्त होता है।

बांस की फसल में खर्चा कम होता है साथ ही मानव श्रम भी बहुत कम लगता है। एक हेक्टेयर में 625 पौधे लगाये जा सकते है।

उन्होंने बताया कि राज्य के किसान शासकीय नर्सरी से बांस के पौधे खरीद सकते है।

 

बांस की खेती पर सब्सिडी

मध्यप्रदेश में रोपित बांस के पौधों के लिए 3 वर्ष में 120 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से किसानों को अनुदान उपलब्ध कराया जाता है।

जबकि तीन साल में प्रति पौधे की लागत औसतन 240 रुपए आती है। इस प्रकार सरकार की ओर से 50 फीसदी तक मदद की जाती है।

राज्य बांस मिशन के सी.ई.ओ. डॉ. यू.के. सुबुद्धि के अनुसार राज्य बांस मिशन योजना के तहत किसान निजी भूमि पर बांस का रोपण कर सकते हैं।

 

बांस की फसल : खेती के साथ होगी आमदनीे

किसान बांस की फसल के साथ अन्य खेती भी कर सकते हैं।

मध्यप्रदेश सरकार किसानों को पड़त की भूमि या खेत के बीच में जगह छोडक़र बांस लगाने के लिए प्रेरित कर रही है ताकि किसान खेती के साथ अन्य तरीकों से आमदनी प्राप्त कर सकें।

विशेषज्ञों का कहना है कि बांस की फसल पर्यावरण के लिए लाभकारी, हरियाली बढ़ाने के साथ तापमान संतुलित करने में सहायक है।

 

बांस अब घास की श्रेणी में शामिल

मध्यप्रदेश सरकार एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत भी बांस की खेती को प्रोत्साहित कर रही है। वन विभाग विभागीय रोपण और मनरेगा योजना के तहत बांस के पौधे लगा रहा है।

पहले बांस काटने पर फॉरेस्ट एक्ट लागू होता था और किसानों पर एफआईआर दर्ज होती है। इस सरकार ने बांस को पेड़ की श्रेणी से हटाकर घास की श्रेणी में शामिल करवा दिया है।

अब निजी भूमि पर लगाए गए बांस काटने पर कोई मामला दर्ज नहीं होगा।

किसान बांस के पौधों के बीच दूसरी फसलें उगाकर फायदा उठा सकते हैं।

आपको बता दें कि बांस की 136 प्रजातियां है लेकिन 10-12 प्रजातियां ही ज्यादा प्रचलित है।

 

मध्यप्रदेश राज्य बांस मिशन में आवेदन प्रक्रिया
  • किसान को सबसे पहले निर्धारित प्रारूप में वनमंडलाधिकारी के कार्यालय में आवेदन करना होगा। वनमंडलाधिकारी राज्य बांस मिशन द्वारा आवंटित लक्ष्यों की सीमा में किसानों का चयन करेंगे। 
  • चयनित किसान को रोपण कार्य का सत्यापन कराने के उपरांत वन परिक्षेत्र कार्यालय द्वारा राज्य बांस मिशन की वेबसाइट ebamboobazar.org में Bamboo Grower के रूप में पंजीयन कर पंजीयन क्रमांक प्रदान किया जाएगा। 
  • पंजीयन के उपरांत वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा वेब एप्लीकेशन ebamboobazar.org पर जाकर डिपार्टमेंट लॉगिन आईडी एवं पासवर्ड से वेरिफिकेशन किया जाएगा। 
  • किसानों को बांस रोपण के लिए बांस प्रजाति का चयन करने की स्वतंत्रता होगी।

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