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एक प्रोफेसर ने गन्ना खेती में अपनाई ये तकनीक

 

प्रति हेक्टेयर डबल हो गई पैदावार

 

पहले नृसिंहपुर में किसान पुरानी तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे थे और उससे उनकी उत्पादकता भी काफी कम थी. लेकिन, बाद में प्रोफेसर चंद्रशेखर ने सेवानिवृत होने के बाद काया पलट कर दिया.

 

हमारे देश में कई अन्य देशों के मुकाबले उत्पादकता काफी कम है और आधुनिक तकनीकों की वजह से किसानों की दूरी इसका अहम कारण है. हालांकि, कई किसान ऐसे हैं, जो आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे और कृषि क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं.

ऐसे ही एक किसान हैं चंद्रशेखर तिवारी, जो मध्यप्रदेश के नृसिंहपुर के रहने वाले हैं. चंद्रशेखर वैसे तो प्रोफेशन से प्रोफेसर थे, लेकिन अब उन्होंने खेती-किसानी करने का फैसला किया है. अब चंद्रशेखर नई तकनीकों से खेती कर रहे हैं और इससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं.

 

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दरअसल पहले नृसिंहपुर में किसान पुरानी तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे थे और उससे उनकी उत्पादकता भी काफी कम थी. लेकिन, बाद में प्रोफेसर चंद्रशेखर ने सेवानिवृत होने के बाद काया पलट कर दिया.

चंद्रेशेखर ने रिटायर्ड होने के बाद अपनी जमीन पर खेतीबाड़ी करने का फैसला किया. इसके बाद प्रोफेसर ने कई शोध संस्थानों में अलग अलग लोगों से मुलाकात की और एक्सपर्ट से बात करने के बाद नई तकनीकों को अपनाया.

पहले चंद्रशेखर एक हैक्टेयर में 35 से 40 टन गन्ना उगा पा रहे थे, लेकिन वो इससे संतुष्ट नहीं थे. चंद्रशेखर इसे 80 टन तक पहुंचाना चाहते थे.

 

लखनऊ वैज्ञानिकों ने की मदद

डीडी किसान के अनुसार, इसके बाद प्रोफेसर चंद्रशेकर ने लखनऊ में गन्ना अनुसंधान में बात की और उसके बाद वैज्ञानिकों की एक टीम गठित की गई है.

इस टीम ने नृसिंहपुर का दौरा किया और वहां की मिट्टी के साथ जलवायु के आधार पर एक रिपोर्ट बनाई.

फिर वैज्ञानिकों ने खेती को लेकर कई सुझाव दिए और किसानों ने उन्हें अपनाया. इसके बाद पहले मिट्टी पर काम किया गया है और कार्बन सामग्री बढ़ाने का काम किया गया.

साथ ही सिंचाई के लिए भी अलग व्यवस्था की गई और कई तरीके अपनाएं गए. इससे उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया मिली.

 

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80 टन का लक्ष्य किया पूरा

इसके बाद इन जैविक उपायों से किसानों को काफी फायदा मिला और अंतरफसल प्रणाली को भी अपनाया गया. इससे किसानों की अतिरिक्त आमदनी भी शुरू हो गई है.

साथ ही प्रोफेसर साहब का 80 टन गन्ना का लक्ष्य भी पूरा हो गया. इससे दूसरे किसान भी आकर्षित हुए और उन्होंने इस तकनीक से खेती की, जिससे उन्हें ना सिर्फ ज्यादा मुनाफा हुआ बल्कि लागत भी काफी कम हो गई.

इसमें चीनी मील के कचरे से खाद और गन्ने की ही खाद बनाना आदि शामिल है.

 

35 फीसदी पर उग रहा है गन्ना

अब नृसिंहपुर में 35 प्रतिशत जोत पर गन्ना ही उगा रहे हैं. साथ ही अब अवशेष जलाए जाने पर भी काम किया जा रहा है और वैज्ञानिकों ने इस पर भी काम किया है. इससे किसान अवशेष जलाने से भी मुक्त हो गए हैं.

ऐसे में आप भी प्रोफेसर चंद्रशेखर की तरह खेती कर सकते हैं और गन्ने की खेती में आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करके पैदावार को बढ़ा सकते हैं.

 

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source : www.tv9hindi.com

 

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