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पुदीने की खेती से होगी अच्छी कमाई

 

जानिए कैसे ले सकते हैं ज्यादा से ज्यादा लाभ

 

औषधीय गुणों से भरपूर पुदीना मुख्य आहार में शामिल तो नहीं है लेकिन इससे कई उपयोग होते हैं. इसकी खेती कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं.

 

केंद्र की मोदी सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लिए तमाम योजनाएं चला रही है. साथ ही वह जोर देती है कि किसान पारंपरिक खेती के अलावा आधुनिक तरीके भी अपनाएं, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो.

 

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औषधीय गुणों से भरपूर पुदीना मुख्य आहार में शामिल तो नहीं है लेकिन इससे कई उपयोग होते हैं. इसकी खेती कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं. उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में पुदीने की खेती प्रमुखता से होती है.

इसकी खास बात यह है कि एक बार रोपाई के बाद इसकी फसल को आप दो बार काट सकते हैं. इस कारण इसमें फायदे के ज्यादा अवसर होते हैं.

 

कैसे करते हैं खेत की तैयारी ?

पुदीने की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमी अच्छी मानी जाती है, जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए. बुआई से पहले खेत की जुताई कर भूमि को समतल बना लें.

अंतिम जुताई पर प्रति हेक्टेयर 10 टन गोबर की सड़ी खाद मिलाएं. इसके साथ ही 50 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 45 किलो पोटाश खेत में डालें. इससे अधिक उत्पादन होगा.

 

कब कर सकते हैं पुदीने की खेती ?

पुदीना की जड़ों की रोपाई का समय 15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच होता है. देर से बुआई करने पर तेल की मात्रा कम हो जाती है. हालांकि कुछ किस्में ऐसी भी हैं, जिन्हें आप मार्च तक रोप सकते हैं.

 

क्या है खेती की विधि ?

पहले पुदीने को खेत की एक छोटी क्यारी में लगा दें. इसकी नियमित सिंचाई करते रहें. जब जड़ थोड़ी बड़ी हो जाए तो इन्हें पहले से तैयार खेत में लगाएं. इस विधि से पुदीने की खेती करने पर अधिक उत्पादन होता है.

किसानों को ज्यादा उत्पादन के लिए पुदीने की अच्छी किस्मों का चयन करना चाहिए. इससे कम समय में ज्यादा लाभ मिलता है.

 

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भारत में लगाई जाने वाली मुख्य किस्में

– सिम क्रांति
– कोसी
– एचवाई-77
– गोमती
– शिवालिक

 

सही समय पर सिंचाई है बहुत जरूरी

सिंचाई की बात करें तो पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद करनी चाहिए. इसके बाद नियमित अंतराल पर सिंचाई करते रहें. अगर मिट्टी में नमी पर्याप्त मात्रा में है तो आप 20 दिन में भी सिंचाई कर सकते हैं.

अगर नमी की मात्रा कम है तो आपको हर सप्ताह सिंचाई करनी होगी. तभी पैदावार अच्छी होगी और उत्पादन ज्यादा होगा. इसके अलावा, अच्छा उत्पादन लेने के लिए आपको खेत से हर 15 दिन में खत पतवार निकालना जरूरी है.

पुदीना की जड़ों को दीमक से बचाने के लिए भी किसानों को उपाय करना होगा वरना फसल को काफी नुकसान हो सकता है.

 

दो बार होती है कटाई

कटाई की बात करें तो यह प्राय: दो बार की जाती है. पहली कटाई के लिए उपयुक्त समय होता है रोपाई के 100 से 120 दिन बाद या जब कलियां आने लगें. दूसरी कटाई, पहली कटाई के 70 से 80 दिन के बाद करें.

कटाई के बाद पौधों को तुरंत न बांधें. उन्हें दो तीन घंटे के लिए खुली धूप में छोड़ दें. इसके बाद छाया में हल्का सुखा कर यंत्र के माध्यम से तेल निकाल लें.

इस बात का जरूर ध्यान रखें कि जिस यंत्र से आप तेल निकालेंगे, उसकी साफ-सफाई सही ढंग से की गई हो. ऐसा नहीं होने की स्थिति में तेल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है.

 

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source : tv9hindi.com

 

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