रबी सीजन प्याज
स्टोरेज सिर्फ रबी सीजन के प्याज का करते हैं. महाराष्ट्र के कुल प्याज उत्पादन का 65 फीसदी रबी सीजन में ही होता है.
प्याज के सबसे बड़े उत्पादक प्रदेश महाराष्ट्र में रबी सीजन के प्याज की बुवाई शुरू हो गई है.
इस साल बारिश के कारण रबी सीजन में प्याज की बुआई में देरी हुई है. लेकिन अब त्यौहारों के बाद यह काम जोर पकड़ेगा. यहां देश का करीब 40 फीसदी प्याज उत्पादित होता है.
लेकिन इस साल ज्यादा बारिश की वजह से काफी जगहों पर इसकी नर्सरी खराब हो गई है, इसलिए किसानों को महंगे दरों पर पौध खरीदनी पड़ रही है. जिससे लागत में वृद्धि हो रही है.
अतिवृष्टि से सबसे अधिक प्रभावित रहे मराठवाड़ा के कई जिलों में रबी सीजन के प्याज की खेती लगभग शुरू हो चुकी है.
महाराष्ट्र में प्याज की तीन फसलें ली जाती हैं. यहां अर्ली खरीफ, खरीफ और रबी सीजन में इसकी खेती होती है.
कब कौन सी फसल होती है
रबी सीजन के प्याज की बुवाई अक्टूबर-नवंबर के महीने में शुरू हो जाती है और यह जनवरी तक चलती है.
इस सीजन का प्याज तैयार होने में लगभग चार महीना लग जाता है. यानी फरवरी और मार्च के बीच तैयार हो जाती है.
कुछ लोगों की रबी सीजन की प्याज बुवाई के अनुसार अप्रैल मई तक निकलती है.
इसी तरह अर्ली खरीफ की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है और नवंबर तक आ जाती है.
खरीफ सीजन के प्याज की बुवाई अगस्त और सितंबर में करते हैं, जो दिसंबर और जनवरी के बीच आ जाती है.
लेकिन इन दोनों की स्टोरेज नहीं हो पाती. स्टोरेज सिर्फ रबी सीजन के प्याज का करते हैं.
महाराष्ट्र के कुल प्याज उत्पादन का 65 फीसदी रबी सीजन में ही होता है.
नासिक, पुणे, सोलापुर, जलगांव, धुले, उस्मानाबाद, औरंगाबाद, बीड, अहमदनगर और सतारा जिले प्याज उत्पादन के लिए मशहूर हैं.
कैसा हो मौसम?
रबी सीजन का प्याज सर्दियां शुरू होते ही लगाया जाता है. रोपण के 1 से 2 महीने बाद मौसम ठंडा हो जाता है.
प्याज़ खिलने के दौरान तापमान में वृद्धि इसकी फसल के लिए अनुकूल माना जाता है.
प्याज अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी और जैविक उर्वरकों से भरपूर मध्यम से दोमट मिट्टी में होती है.
इस मिट्टी में प्रति हेक्टेयर 40 से 50 टन देसी खाद डालने से उपज में वृद्धि होगी.
अच्छी किस्में
बसवंत 780: यह किस्म खरीफ और रबी मौसम के लिए उपयुक्त है और इसका रंग गहरा लाल है.
महीने के मध्य में प्याज आकार में बड़े होते हैं. इस किस्म की पौध 100 से 120 दिनों में काटी जाती है. प्रति हेक्टेयर उपज 250 से 300 क्विंटल हैं.
N-2-4-1: यह किस्म रबी के मौसम के लिए उपयुक्त है और इसका रंग केसर है.
प्याज आकार में मध्यम गोल होता है और भंडारण में बहुत अच्छी तरह रहता है.
यह किस्म 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है. प्रति हेक्टेयर उपज 300 से 350 क्विंटल है. 10 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है.
उर्वरक और जल प्रबंधन
यदि रोपाई के बाद खेत में खरपतवार दिखाई दे तो हल्की निराई करनी चाहिए. कटाई से 3 सप्ताह पहले पानी बंद कर दें.
प्याज की फसल को बोने के समय 50 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो पी और 50 किलो के के साथ उपचारित करना चाहिए.
फिर 1 महीने में 50 किलो एन/हेक्टेयर लगाएं. प्याज की फसल में नियमित रूप से पानी देना जरूरी है.
खरीफ मौसम में 10 से 12 दिन और ग्रीष्म रबी मौसम में 6 से 8 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें.
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