कीट और उनका नियंत्रण
आमतौर पर राई-सरसों में कई तरह के कीट लग जाते हैं, जिससे फसल ख़राब हो जाती है. नतीजन, किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है.
अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि वो ऐसा क्या करें जिससे उनकी फसल में कीट न लगे.
तो ऐसे में आइये आज हम आपको बताते हैं कि राई-सरसों की खेती करने वाले किसान ऐसा क्या करें की उनके फसल में कोई कीट न लगे.
एफिड
ये कीट रस चूसते हैं, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है.
नतीजतन, पौधे का सही तरह से विकास नहीं हो पाता है और फसल की उत्पादकता प्रभावित हो जाती है.
नियंत्रण के लिए फसल की समय से बुवाई करें. नाइट्रोजन उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से बचें. यदि खेत में इसका हमला दिखे, तो अनुशंसित कीटनाशक को पानी में घोलकर छिड़काव करें.
पेंटेड बग
यह अंकुरण अवस्था और परिपक्वता अवस्था में फसल को नष्ट कर देता है और रस को चूसना शुरू कर देता है. नतीजतन फसल सूख जाते हैं.
नियंत्रण के लिए इसकी बुवाई के तीन से चार सप्ताह बाद सिंचाई करने से कीटों की संख्या कम करने में मदद मिलती है.
यदि इसका हमला खेत में दिखे, तो मैलाथियान 400 मि.ली. प्रति एकड़ की स्प्रे करें.
ली सूँडी
युवा लार्वा पत्तियों को खाते हैं और उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं.
नियंत्रण के लिए यदि खेत में इसका हमला दिखे तो मैलाथियान 5% डस्ट 15 किग्रा या डाइक्लोरवोस 200 मि.ली. को 100-125 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.
झुलस रोग
तने, शाखाओं, पत्रक और फलियों पर विकसित बिंदी जैसे शरीर वाले गहरे भूरे रंग के धब्बे इस कीट के लगने के लक्षण है.
अधिक प्रकोप होने पर तना और फली मुरझा जाती है.
इसके नियंत्रण में खेती के लिए प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करें. रोग लगने पर इंडोफिल एम-45 या कैप्टन 260 ग्राम/100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ स्प्रे करें.
यदि आवश्यक हो तो 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव को दोहराएं ताकि ये उभर ना पाए और नष्ट हो जाये.
डाउनी मिल्ड्यू
पत्तियों की निचली सतह पर सफेद रंग की वृद्धि इसके लक्षण है. साथ ही इसकी पत्तियां हरे या पीले रंग का रूप लेने लग जाती है.
नियंत्रण के लिए फसल की बुवाई से पहले पिछली फसल के मलबे को नष्ट कर दें.
इंडोफिल एम-45 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में प्रति एकड़ में मिलाकर 15 दिनों के अंतराल पर चार बार स्प्रे करें.
सफेद रतुआ
पत्तियों, तनों और फूलों पर सफेद दाने दिखाई देना इसका लक्षण है और साथ ही प्रभावित हिस्से में सूजन देखी जाती है.
संक्रमण के कारण फूल बाँझ हो जाते हैं.
यदि खेत में इसका हमला दिखे, तो मेटालैक्सिल 8% + मैनकोज़ेब 64% 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 25 ग्राम प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें.
यदि आवश्यक हो तो 10-15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव दोहराएं.
यह भी पढ़े : गेहूं की इन 5 उन्नत किस्मों की करिए खेती
यह भी पढ़े : गेहूं और सरसों की अच्छी पैदावार के लिए वैज्ञानिक सलाह
यह भी पढ़े : किसानो को सलाह, प्रति हैक्टेयर 100 किलोग्राम गेहूं का उपयोग बुआई में करें
शेयर करे