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10 हजार रूपये किलो में बिकता है इस फसल का तेल

देश में गेहूं, धान, मक्का, दलहन जैसी पारंपरिक फसलों से अतिरिक्त अपनी आय बढ़ाने के लिए नए आजीविका विकल्पों की तलाश करना किसानों के लिए जरूरी हो गया है.

ऐसे में आपको जंगली गेंदे की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो कि काफी मुनाफे का सौदा साबित हो रही है.

 

खेती से होगी बंपर कमाई

जंगली गेंदा की खेती और उससे तेल निकाल कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.

किसानों ने उन्नत किस्म के जंगली गेंदे के पौधों से सुगंधित तेल निकाला है.

यह तेल करीब 10 हजार रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जा रहा है.

इस तेल का इस्तेमाल फॉर्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में इत्र और अर्क बनाने में किया जा रहा है.

जंगली गेंदा के तेल से होने वाले फायदों ने पारंपरिक मक्का, गेहूं और धान की फसलों की तुलना में किसानों की आय को बढ़ाकर लगभग दोगुना कर दिया है.

आइए जानते हैं खेती से जुड़ी जरूरी जानकारी

 

उपयुक्त जलवायु

जंगली गेंदे को शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु की जरूरत होती है.

इसे मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के निचले भागों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है.

जंगली गेंदे के बीजों को जमाव के लिए कम तापमान और पौधों की बढ़वार के लिए गर्मी के लम्बे दिनों की जरूरत होती है.

 

उपयुक्त मिट्टी

जंगली गेंदे की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली मिट्टी की जरूरत होती है.

उचित जल निकासी प्रबन्ध के साथ कार्बनिक पदार्थों की प्रचुरता वाली बलुई दोमट या दोमट भूमि अच्छी होती है.

जिसका pH मान 4.5-7.5 होना चाहिए.

 

नर्सरी तैयार करना

उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में जंगली गेंदे की खेती के लिए बीजों की सीधे बुआई अक्टूबर में की जाती है.

पहाड़ी इलाकों में नर्सरी को मार्च से अप्रैल में तैयार करनी चाहिए. फिर जब पौधे 10-15 सेंटीमीटर लम्बे हो जाएं खेतों में रोपाई करनी चाहिए.

बुवाई का तरीका

सीधी बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 2 किलोग्राम बीजों की जरूरत होती है.

बीजों में थोड़ी मिट्टी मिलाकर पंक्तियों में छिड़ककर बुवाई कर सकते हैं.

नर्सरी में पौधे तैयार करके रोपाई करने के लिए प्रति हेक्टेयर 750 ग्राम बीज पर्याप्त होते हैं.

रोपाई के वक़्त कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखना चाहिए.

 

सिंचाई

जंगली गेंदे की फसल की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करना जरूरी है.

पूरी फसल के दौरान मैदानी क्षेत्रों में 3-4 सिंचाई की जरूरत होती है जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में जंगली गेंदे की खेती बारिश आधारित होती है.

 

फसल की कटाई

मैदानी क्षेत्रों में अक्टूबर में लगाई फसल मार्च के अन्त से लेकर मध्य अप्रैल तक और पहाड़ी क्षेत्रों में जून-जुलाई में लगाई फसल सितम्बर-अक्टूबर तक कटाई के लिए तैयार हो जाती है.

कटाई के वक़्त जमीन से करीब एक फीट ऊपर हंसिया या दरांती से पौधों को काटना चाहिए.

पैदावार

इस किस्म की खेती से प्रति हेक्टेयर कर 300 से 500 क्विंटल शाकीय भाग यानी ‘हर्ब’ की उपज मिलती होती है.

हर्ब का आसवन जल्द कर लेना चाहिए. इससे 40-50 किलोग्राम तक जंगली गेंदे का तेल मिलता है.

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