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गोबर से निर्मित ये इको-फ्रैंडली प्रोडक्ट दिलाएंगे बंपर मुनाफा

हो जाएगा बिजनेस

 

गाय के गोबर का इस्तेमाल भी रसोई गैस से लेकर देसी खाद और जैव उर्वरक बनाने में किया जा रहा है.

इससे पेंट, पेपर, बैग, ईंट, गौकाष्ठ लकड़ी और दंत मंजन तक बनाए जा रहे हैं.

 

हाल ही में गुजरात की एक अदालत ने कहा कि गाय मात्र एक जानवर नहीं है, बल्कि मां है.

इसकी हत्या को बंद कर दिया जाए तो धरती की सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी.

अपने बयान में कोर्ट ने बताया कि गाय के गोबर से बने घरों में एटॉमिक रेडिएशन का कोई असर नहीं होता.

गौमूत्र से भी लाइलाज बीमारियों को ठीक किया जा सकता है. यही वजह है कि आज देसी गाय पालन को प्रमोट किया जा रहा है.

यह ग्रामीण इलाकों में आमदनी का अहम जरिया बन गया है. पहले सिर्फ गाय के दूध से कमाई होती थी, लेकिन जब से इको-फ्रैंडली का नारा बुंलद हुआ है, तब ही से गाय के गोबर से लेकर गौमूत्र से तमाम उत्पाद बनाए जा रहे हैं.

गाय के दूध में औषधीय गुण मौजूद होते हैं. इसके दूध से बने घी की विदेश में भारी मांग है, जबकि इसके गौमूत्र से आज कैंसर की दवाएं तक बनाई जा रही है.

 

गाय के गोबर का इस्तेमाल भी रसोई गैस से लेकर देसी खाद और जैव उर्वरक बनाने में किया जा रहा है.

इससे पेंट, पेपर, बैग, ईंट, गौकाष्ठ लकड़ी और दंत मंजन तक बनाए जा रहे हैं. एक अकेली गाय प्राकृतिक खेती के खर्च का आधा कर देती है.

यदि आप भी गाय पालते हैं तो इसके दूध के साथ-साथ गोबर और गौमूत्र को बेचकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं.

 

गोबर से ऑर्गेनिक पेंट

पौराणिक काल से ही गांव में घरों को गोबर से लेपने की चलन है. गाय के गोबर को ग्रंथों में सोना कहा गया है.

यह वास्तु के अनुसार तो शुभ है ही, साथ ही कीटों से भी सुरक्षित रखने का साइंस है.

भैंस और विदेशी, ब्राजीलियन, जर्सी नस्लों के गोबर में 50 से 70 लाख बैक्टीरिया हैं, लेकिन देसी गाय के एक ग्राम गोबर  में 3 से 5 करोड़ बैक्टीरिया मौजूद हैं, जो घर को सुरक्षित रखते हैं.

इसी विज्ञान के मद्देनजर अब गोबर से ऑर्गेनिक पेंट बनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के गौठानों में ना सिर्फ फुली ऑर्गेनिक पेंट का उत्पादन हो रहा है, बल्कि बाजार में यह पेंट मल्टीनेशनल कंपनियों के पेंट से सस्ता भी बिक रहा है.

खादी इंडिया ने भी गोबर से बना वैदिक पेंट लॉन्च किया है. इसके अलावा, इस गोबर से पेपर, बैग, मैट से लेकर ईंट समेत कई इको-फ्रैंडली प्रोडक्ट लॉन्च किए जा चुके हैं, जो कैमिकल प्रोडक्ट्स का अच्छा विकल्प हैं.

 

खेती से लेकर रसोई गैस का इंतजाम

कैमिकल के बढ़ते इस्तेमाल से हमारी खेती बंजर हो रहा है और भूजल भी प्रदूषित होता जा रहा है. इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए अब किसानों को जीरो बजट प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

यह खेती पूरी तरह से गाय पर आधारित है, जिसमें गोबर और गौमूत्र से जीवामृत, बीजामृत, पंचगव्य, संजीवक, नाडेफ कंपोस्ट आदि बनाए जाते हैं. गौमूत्र और नीम की पत्तियों से नीमास्त्र बनाया जाता है, जिसे प्राकृतिक कीटनाशक भी कहते हैं.

कई राज्य सरकारें किसानों को गाय उपलब्ध करवा रही हैं और अनुदान भी  दे रही हैं, ताकि गाय पालन के प्रमोट करते हुए प्राकृतिक खेती और इससे उपजे पौष्टिक उत्पादों को बढ़ावा दिया जा सके.

साथ ही किसानों को गाय का दूध बेचकर भी अच्छी आमदनी मिल जाती है. यदि आप पशुपालक हैं और खुद का डेयरी फार्म चलाते हैं तो एक बायोगैस प्लांट भी लगा सकते हैं, जिससे पूरे गांव को फ्री में रसोई गैस मिल सकती है.

 

कागज और कैरी बैग

क्या आप जानते हैं कि हम भारतीय ने गोबर से एक मजबूत कागज और कैरी बैग तक तैयार कर लिए हैं.

यह जयपुर स्‍थ‍ित कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट के प्रयासों का नतीजा है.

इस संस्थान में गाय के गोबर से कागज बनाने का तरीका सिखाया जाता है.

इतना ही नहीं,‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ से जोड़कर लोगों को इस तरह के उत्पाद बनाने के लिए जागरूक भी किया जाता है.

यह भी ग्रामीण रोजगार और किसानों के लिए बेहतर आय के सृजन में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.

 

यह उत्पाद भी गोबर से निर्मित

कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गोबर से बने स्टीकर मोबाइल के रेडिएशन को कम करने की ताकत रखते हैं.

साथ ही गोबर से तैयार माला से स्नायु संबंध बीमारियों में राहत मिलती है.

गोबर को अब सेहत की सुरक्षा से जोड़ते हुए गौअर्क, दंत मंजन, साबुन, सजावट के सामान, माला, चूड़ियां और मोबाइल स्टीकर तक तैयार कर दिए गए हैं.

जहां गोबर से तैयार दंज मंजन को मुंह के पायरिया को खत्म करने में प्रभावी बताया जा रहा है तो वहीं इससे बने साबुन को स्किन एलर्जी में लाभकारी बताया जा रहा है.

इसके अलावा, दीवाली पर गोबर से बने दिए, मूर्तियां भी काफी चर्चाओं में रहती हैं. त्यौहार आते ही इनकी मार्केटिंग भी खूब अच्छी हो जाती है.

 

गौमूत्र से औषधी, कीटनाशक और फिनाइल

आयुर्वेद में गाय को गौमूत्र को संजीवनी समान बताया गया है.

कई आयुर्वेदिक संस्थानों में गौमूत्र से कैंसर तक का सफल इलाज होने की बात कही गई है.

गौमूत्र के औषधीय गुणों से पेट की बीमारियों से लेकर चर्म रोगों, आंत्रशोथ, पीलिया,  सांस की बीमारी, आस्थापन, वस्ति, आनाह, विरेचन कर्म, मुख रोग, नेत्र रोग, अतिसार, मूत्राघात, कृमिरोग,हृदय रोग, कैंसर, टीबी, पीलिया, मिर्गी, हिस्टिरिया जैसे घातक रोगों में भी प्रभावी बताया जाता है.  

गौमूत्र सिर्फ इंसान के स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि फसल और घर की सुरक्षा के लिए लाभकारी है.

इससे कई राज्यों में जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए नेचुरल पेस्टीसाइड बनाए जा रहे हैं.

आज के आधुनिक दौर में भी गौमूत्र को एक प्रभावी कीटाणुनाशक माना जा रहा है.

इसी तर्ज पर कई कंपनियों ने गौमूत्र से कैमिकमुक्त फिनाइल भी तैयार कर दिया है.

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