एक बार लगाने पर 5 साल तक मिलता है फल
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रयासरत सरकार भी मेडिसिनल प्लांट्स की खेती को बढ़ावा दे रही है.
इसके लिए सरकार की तमाम योजनाएं चल रही हैं और किसानों को सब्सिडी भी दिया जा रहा है.
आज के समय में किसान पारंपरिक फसलों से हटकर नकदी फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं.
औषधीय पौधों की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है.
दवा बनाने से लेकर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच इनका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है.
हालांकि मांग के मुताबिक, उत्पादन नहीं होने से किसानों को अच्छी कमाई हो रही है और कंपनियां किसानों से कॉन्ट्रैक्ट कर इन पौधों की खेती करा रही हैं.
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रयासरत सरकार भी मेडिसिनल प्लांट्स की खेती को बढ़ावा दे रही है.
इसके लिए सरकार की तमाम योजनाएं चल रही हैं और किसानों को सब्सिडी भी दिया जा रहा है.
इसी तरह का एक पौधा है पीपली. जिले पीपर भी कहते हैं.
कई बीमारियों में होता है इस्तेमाल
इस पौधे के फल, जड़ और तने का सर्दी, खांसी, दमा, जुकाम, अस्थमा, ब्रांकाइटिस, श्वास रोग, जीर्ण ज्वर आदि के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
इसके अलावा अपच, मूत्र रोग, पीलिया, पेचिश, सूजन और पेट के अन्य रोग के इलाज में भी इससे फायदा होता है.
अगर आप पीपली की खेती करने की योजना बना रहे हैं तो आपको इसकी उन्नत किस्मों का चुनाव करना जरूरी है.
नानसारी चिमाथी और विश्वम किस्मों की खेती कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.
इसकी खेती के लिए लाल मिट्टी, बलुई दोमट और पानी निकास के लिए उपयुक्त भूमि इसके लिए अच्छी होती है.
वैसे काली, मध्यम और भारी बलुई मिट्टी पर भी इसकी खेती हो सकती है. बस जल निकासी की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए.
इन बातों का रखना होता है ध्यान
नमी युक्त जलवायु पीपली की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है. पीपली का पौधा एक बार लगाने पर 5-6 साल तक रहता है.
ऐसे में लगाते वक्त खेत की जुताई अच्छे से कराना जरूरी है. इसके बाद खेत में जैविक खाद के अलावा पोटाश और फास्फोरस डालना जरूरी है.
पीपली पर सीधी हवा का प्रभाव पड़ता है और छाव की भी जरूरत होती है. इसके लिए आप खेत में टटिया या बांस की चटाई लगा सकते हैं.
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि फरवरी या मार्च में पीपली की पौधशाला लगानी चाहिए. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह छांव में हो.
पौध तैयार होने के बाद जुलाई के महीने में इनकी रोपाई की जाती है. रोपाई के बाद 20 दिन तक रोज सिंचाई जरूरी है.
इसके बाद सप्ताह में एक बार सिंचाई करना चाहिए. लगाने के 6 महीने बाद इसमें फूल आने लग जाते हैं.
एक बार पीपली लगाने पर किसान 5 साल तक फल प्राप्त कर सकते हैं. बस समय पर फसल की देखभाल करनी होगी.
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