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एक सप्ताह बाद बाजार में आ जाएगा अर्ली खरीफ सीजन का प्याज

 

अर्ली खरीफ सीजन का प्याज

 

महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन का कहना है कि किसानों को प्याज का कम से कम 30 से 35 रुपये किलो के हिसाब से दाम मिले तब जाकर इस खेती से इनकम डबल हो सकती है.

 

महाराष्ट्र की पिम्पलगांव मंडी में प्याज का अधिकतम दाम एक बार फिर 4400 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है.

न्यूनतम दाम 1600 और मॉडल प्राइस 2400 तक पहुँच गया है.

जबकि एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में 13 नवंबर को ही अधिकतम डैम 2575 रुपये प्रति क्विंटल ही था.

न्यूनतम दाम 901 रुपये और मॉडल प्राइस 2100 रुपये ही था. इस बीच अर्ली खरीफ का प्याज मार्केट में आने वाला है. तो क्या रेट और कम हो जाएंगे.

 

महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि पूरे महाराष्ट्र में पिम्पलगांव अकेली ऐसी मंडी है जहां हमेशा भाव तेज रहता है.

उसकी वजह उस क्षेत्र की खास तरह का प्याज है. जिसका इस्तेमाल आमतौर पर लोग सीड बनाने के लिए करते हैं.

इसलिए प्याज के दाम का सही अनुमान पिम्पलगांव की जगह लासलगांव के रेट से लगाना चाहिए.

 

क्यों अच्छी है आवक?

इस समय रेट काफी कम है. ज्यादातर किसान 1000 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल के रेट पर ही इसे बेचने लिए मजबूर हैं.

जबकि 1800 रुपये प्रति क्विंटल तक खुद किसानों की लागत आ रही है.

इस लागत पर किसानों को कम से कम 30 से 35 रुपये किलो का दाम मिले तब जाकर इस खेती से इनकम डबल हो सकती है.

इस समय दिवाली के वक्त लगभग 10 दिन तक मंडी बंद रहने की वजह से आवक तेज है. ऐसे में दाम कम हो रहे हैं.

 

क्या नया प्याज और बिगड़ेगा खेल

इस बीच अर्ली खरीफ सीजन के प्याज मार्केट में आने वाला है. तो क्या इसकी वजह से रेट कम हो जाएगा? क्या इससे किसानों को नुकसान होगा.

दिघोले कहना है कि महाराष्ट्र के कुल प्याज उत्पादन में 65 परसेंट रबी सीजन का हिस्सा होता है.

अर्ली खरीफ का हिस्सा मात्र 15 फीसदी है. यह प्याज भी थोड़ा थोड़ा करके मार्केट में आएगा.

इसलिए इसकी वजह से दाम में ज्यादा गिरावट नहीं होनी चाहिए.

 

दिघोले कहते हैं कि असल में ट्रेडर्स की लॉबी इतनी मजबूत है कि वो कभी भी अपनी सहूलियत देखकर दाम गिरा और चढ़ा देते हैं.

इसलिए हम अपने संगठन का अलग मार्केटिंग नेटवर्क बनाना चाहते हैं.

 

महाराष्ट्र में कब कब होता है प्याज
  1. रबी सीजन: इसके प्याज की बुवाई अक्टूबर-नवंबर में शुरू हो जाती है और यह जनवरी तक चलती है. इस सीजन की फसल फरवरी और अप्रैल के बीच तैयार होती है.
  2. अर्ली खरीफ: इसकी बुवाई जून-जुलाई में की जाती है. फसल नवंबर से दिसंबर तक आ जाती है.
  3. खरीफ सीजन: इसके प्याज की बुवाई अगस्त और सितंबर में होती है. जबकि फसल दिसंबर और जनवरी के बीच आती है.

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