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तुलसी की खेती मुनाफा देती

 

औषधीय फसलों की कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग

भारतीय हिंदू परिवारों विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्राय: हर घर आंगन में तुलसी का बिरवा होता है, जिसकी सुबह शाम पूजा की जाती है। कभी-कभी तुलसी पत्तियों का उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। पवित्र एवं रामबाण औषधि तुलसी कोरोना काल में आंगन के साथ खेतों में भी व्यवसायिक तौर पर किसानों द्वारा लगाई जा रही है। इस वर्ष खरीफ फसलों को प्राकृतिक आपदा एवं कीट व्याधियों ने प्रभावित किया। कहीं- कहीं तो किसान को लागत निकालने में भी पसीना आ गया।

 

ऐसी विपरीत परिस्थितियों में जिले की सतवास तहसील के ग्राम कांटाफोड़ के कृषक श्री दलजीत सिंह भाटिया ने जुलाई माह मे 4 एकड़ भूमि पर तुलसी फसल लगाई। आईटीसी कंपनी से समझौते के तहत उन्हें कंपनी से ही तुलसी बीज 350/- रु. प्रति किलो दिया गया था। फसल उपज भी कंपनी 4000/- रू क्विंटल खरीदेगी ।

 

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56 वर्षीय श्री सिंह एमए, इंग्लिश बी एड. तक शिक्षित हैं। श्री दलजीत सिंह 22 वर्ष की उम्र से अपनी 22 एकड़ भूमि पर खेती कर रहे हैं। तुलसी फसल इस वर्ष ही लगाई । सितंबर अंतिम सप्ताह में फसल को जमीन से 4 से 5 इंच ऊपर से काटा गया। तने एवं पत्तियों को एक साथ चारा मशीन में बारीक काटकर 6 दिन तक सुखाया। कुल 23 किवंटल फसल को कॉन्ट्रैक्ट अनुसार आईटीसी कंपनी खरीदकर ले जायेंगी। श्री सिंह पुन: खेत में पानी छोड़कर तुलसी तैयार करेंगे जो कि 2 माह में तैयार होगी और पत्तियों को ही काट कर सुखाया जायेगा।

 

यह पत्तियां कंपनी रुपए 9000/- प्रति क्विंटल खरीदेंगी । श्री दलजीत बताते हैं कि 4 एकड़ में 6 किलो तुलसी बीज एवं निदाई-गुड़ाई एकटाई की मजदूरी पर कुल रु. 32000/- रुपए व्यय हुए हैं। श्री भाटिया जैविक पद्धति से खेती करते हैं। उनकी गौशाला में 16 पशुओं से निकलने वाले गोबर को वर्मी कम्पोस्ट यूनिट में डाला जाता है। आपके यहां 6&10 साइज के 30 प्लास्टिक एवं सीमेंट के वर्मी कम्पोस्ट यूनिट लगा रखे हैं । शेष भूमि पर फलदार वृक्षों का बगीचा एवं पारंपरिक फसलें बोई जाती हैं।

 

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इस वर्ष 1 एकड़ में अश्वंगंधा लगाया गया है। पाठकगण तुलसी फसल की काश्त एवं अन्य जानकारी कृषक श्री दलजीत सिंह भाटिया के मो.: 93032 62253 पर ले सकते हैं।

 

source : krishakjagat

 

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