वैक्सीनेशन
मध्य प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि उसने 9488 दुधारू पशुओं को लंपी स्किन रोग होने के बाद ईलाज देकर ठीक कर लिया है.
लक्षण दिखते ही स्थानीय पशु चिकित्सालय से संपर्क करें या फिर कंट्रोल-रूम में बात करें किसान.
मध्य प्रदेश सरकार ने अब तक प्रदेश के 4 लाख 44 हजार 687 गौ-भैंस वंशीय पशुओं का टीकाकरण करवा लिया है.
ताकि वो लंपी स्किन डिजीज से बच जाएं. इस रोग से सबसे अधिक राजस्थान और गुजरात प्रभावित हैं.
दोनों से सटे होने की वजह से मध्य प्रदेश सरकार की भी टेंशन बढ़ गई थी लेकिन, समय रहते पशुओं की आवाजाही बंद करने से संक्रमण का फैलाव बहुत तेजी से नहीं हो पाया.
पशुपालकों से अनुरोध किया गया है कि लक्षण दिखते ही स्थानीय पशु औषधालय, पशु चिकित्सालय से संपर्क करें.
या फिर भोपाल स्थित कंट्रोल-रूम में (0755-2767583) बात करें.
तुरंत इलाज शुरू होने से पशु के जल्दी ठीक होने की संभावना रहती है. दुग्ध उत्पादन में कमी आ जाती है, जो कुछ समय बाद ठीक हो जाती है.
इसलिए पशुपालक सूचना देने में देर न करें. वर्तमान में सूबे के 30 जिलों के 3174 गांवों में गौ-भैंस वंशीय पशु लंपी रोग से प्रभावित हैं.
अब तक कुल 12,655 पशु लंपी रोग से प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 9488 के ठीक होने का दावा किया गया है.
सरकार ने बढ़ाई सतर्कता
सरकार ने कहा है कि शासन द्वारा गौ-भैंस वंशीय पशुओं को लंपी रोग से बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.
गौ-संवर्धन बोर्ड कार्य-परिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि जिलेवार गौशालाओं का निरीक्षण कर रहे हैं.
वहीं पशुपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उनको आवंटित जिलों में लगातार भ्रमण कर टीकाकरण, दवा की उपलब्धता, रोग की स्थिति आदि की स्थल पर जांच कर रहे हैं.
हर जिले में रैपिड रिस्पांस टीम
- पीड़ित पशुओं तक तुरंत इलाज पहुंचाने के लिए कलेक्टर के निर्देशन में प्रत्येक जिले में रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है.
- टीम को सूचना मिलते ही सक्रिय होने के आदेश दिए गए हैं.
- पशुपालन विभाग द्वारा लगातार टीकाकरण, स्वास्थ्य और जागरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं.
- पशुपालकों को स्थानीय भाषा में भी जागरूक किया जा रहा है.
- ताकि वो बात समझ पाएं और लंपी से बचाने के लिए अपने पशुओं की वैज्ञानिक तरीके से देखभाल कर सकें.
सूबे में मनाया गया गौ-सेवा कार्यक्रम
पशुपालन विभाग, मध्य प्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव फेडरेशन और गौ-संवर्धन बोर्ड द्वारा मंगलवार को प्रदेश की गौशालाओं में गौ-सेवा कार्यक्रम आयोजित किए गए.
इसमें गौ-पूजन के साथ गायों को गुड़, हरा चारा, लाप्सी का सेवन कराया गया.
लंपी बीमारी न हो इसलिए रंग-रोगन, साफ-सफाई अभियान शुरू किया गया.
गौशालाओं में पशु उपचार, टीकाकरण, स्वास्थ्य शिविर के साथ गौशालाओं को आत्म-निर्भर बनाने, पंचगव्य आधारित उत्पाद और गौवंश की महत्ता बताई गई.
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