भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने गेहूं की एक नई किस्म विकसित की है.
इस किस्म पर मौसम के मिजाज और बढ़ती गर्मी का कोई असर नहीं पड़ेगा.
एचडी-3385 नामक गेहूं की यह नई किस्म जल्दी बुवाई के लिए अनुकूल है, गर्मी के प्रकोप से बचाती है.
इसे मार्च के अंत से पहले काटा जा सकता है.
ICAR ने विकसित की नई किस्म
गेहूं की फसल पर इस वक्त बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है. भारी गर्मी के चलते इसपर बुरा असर पड़ रहा है.
ज्यादा तापमान होने की वजह से गेहूं के दाने पतले हो जाएंगे.
वैज्ञानिकों की मानें तो बढ़े हुए टेंपरेचर की वजह से सरसों की उन फसलों को थोड़ा लाभ होगा जो पहले बोई गई थीं.
वहीं, जिन किसानों ने बाद में सरसों की फसल बोई है उनके लिए यह काफी नुकसानदायक साबित होगा.
अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद इसके एक विकल्प के तौर पर सामने आई है.
ICAR ने विकसित की गेहूं की एक नई किस्म
दरअसल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने गेहूं की एक नई किस्म विकसित की है.
इस किस्म पर मौसम के मिजाज और बढ़ती गर्मी का कोई असर नहीं पड़ेगा.
एचडी-3385 नामक गेहूं की यह नई किस्म जल्दी बुवाई के लिए अनुकूल है, गर्मी के प्रकोप से बचाती है.
इसे मार्च के अंत से पहले काटा जा सकता है.
अच्छा उत्पादन
आईसीएआर के प्रधान वैज्ञानिक राजबीर यादव ने बताया इस किस्म की गेहूं की बुवाई करके अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
हाल ही में, बढ़ते तापमान के मद्देनजर, केंद्र ने तापमान में वृद्धि और वर्तमान गेहूं की फसल पर इसके प्रभाव की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा की थी.
बढ़े हुए तापमान का ये भी है नुकसान
बता दें कि बढ़ती गर्मी के कारण फसलों के लिए फायदेमंद तितली, मधुमक्खी जैसी प्रजातियां भी मरने लगी हैं.
वहीं, फसल के लिए काफी नुकसानदायक कीड़ों की संख्या बढ़ने लगी है.
ये कीड़े फसल को पूरी तरह से चट कर जाते हैं. इससे किसानों की फसलों को भारी नुकसान हो रहा है.
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