करोड़ों में पहुंच जाएगा मुनाफा
खेती-किसानी में लगातार होते नुकसान को देखते हुए किसान ने पेड़ की खेती की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है.
ऐसा करने से किसान अपने नुकसान की भरपाई करने के साथ-साथ बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं.
जलवायु परिवर्तन और खेती करने के गलत तरीके से पारंपरिक फसलों में किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.
आय का स्रोत बढ़ाने के लिए किसानों ने मुनाफा देने वाली फसलों की तरफ रुख करने लगे हैं.
इसी कड़ी में किसानों ने पेड़ों कि खेती करनी शुरू कर दी है.
किसानों के बीच ही कई ऐसे उदाहरण देखने को मिले हैं कि उनमें से कईयों ने सफेदा, सागवान, गम्हार, महोगनी जैसे पेड़ों की खेती कर करोड़पति बन गए हैं.
सफेदा के पेड़ की खेती
बाजार में भी सफेदा की लकड़ियों की काफी मांग है. इसकी लकड़ियों का उपयोग फर्नीचर, ईंधन तथा कागज का लुगदी बनाने के काम आता है.
विशेषज्ञों के अनुसार एक हेक्टेयर क्षेत्र में यूकेलिप्टस के 3000 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं.
यह पेड़ केवल 5 सालों में अच्छी तरह से विकास कर लेता है, जिसके बाद इसे काटा जा सकता है.
लेकिन ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए विशेषज्ञ इसकी कटाई 10 से 12 सालों में करने की सलाह देते हैं.
बता दें कि एक पेड़ से लगभग 400 किलो लकड़ी प्राप्त होती है.
बाज़ार में यूकलिप्टस की लकड़ी 6 से 9 रुपए प्रति एक किलो के भाव से बिकती है.
ऐसे में अगर हम एक हेक्टेयर में तीन हजार पेड़ लगाते हैं. तो आसानी से एक करोड़ रुपये तक कमा सकते हैं.
महोगनी के पेड़ों की खेती
महोगनी के पेड़ को विकसित होने में 12 साल लग जाते हैं.
लकड़ियां मजबूत होने की वजह से इसका उपयोग जहाज, गहने, फर्नीचर, प्लाईवुड, सजावट और मूर्तियां बनाने में किया जाता है.
इसकी पत्तियां और खाल का उपयोग कई तरह की गंभीर बीमारियों के खिलाफ किया जाता है.
इसकी पत्तियों और बीजों के तेल का इस्तेमाल मच्छर भगाने वाले प्रोडक्ट्स और कीटनाशक बनाने में किया जाता है.
इसके तेल का इस्तेमाल साबुन, पेंट, वार्निश और कई तरह की दवाइयां बनाने में किया जाता है.
महोगनी के पेड़ 12 साल में लकड़ी की फसल के लिए तैयार हो जाते हैं.
इसके बीज बाजार में एक हजार रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं. लकड़ियों पर भी बाजार में अच्छी कीमत मिल जाती है.
सागवान के पेड़ की खेती
सागवान की लकड़ियों की मांग बेहद ज्यादा है. लेकिन इस मांग की भरपाई किसानों द्वारा नहीं हो पाती है.
सरकार भी किसानों को पेड़ लगाने के लिए अपने स्तर पर प्रोत्साहित करती रहती है.
कई राज्यों सरकार द्वार पेड़ लगाने के लिए किसानों को आर्थिक तौर पर मदद भी दी जाती है.
किसान 12 साल बाद इस पेड़ की कटाई कर सकते हैं.
12 वर्षों के बाद यह पेड़ वक्त के साथ मोटा होता जाता है, इस दौरान पेड़ का मूल्य भी बढ़ता जाता है.
सागवान का पेड़ एक बार काटने के बाद फिर से बढ़ता है और फिर से काटा जा सकता है.
अगर एक एकड़ में 500 सागवान के पेड़ लगाए जाए तो 12 सालों बाद इसकी कीमत करोड़ों की हो जाएगी.
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