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सरसों की फसल के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की एडवाइजरी

 

किसान रखें इस बात का ध्यान

 

पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि किसान भाई सरसों की फसल में चेपा कीट की निगरानी करते रहें.

प्रभावित भाग को काट कर नष्ट करने की दी सलाह.

 

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सरसों खेती को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है, ताकि नुकसान न हो.

किसान फसल में चेपा कीट की निरंतर निगरानी करते रहें. रोग लगने की शुरुआती अवस्था में ही प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दें.

चेपा या माहू कीट इस समय किसानों की चिंता बढ़ा देते हैं. इसका प्रकोप दिसंबर के अंतिम और जनवरी के पहले सप्ताह में शुरू होता है व मार्च तक बना रहता है.

यह कीट ग्रुप में पौधों के तनों, फूलों, पत्तियों एवं नई फलियों से रस चूसकर उसे कमजोर कर देते हैं.

पौधों के कुछ भाग चिपचिपे हो जाते हैं, काला फंगस लग जाता है. पौधों में भोजन बनाने की ताकत कम हो जाती है और इससे पैदावार में भारी कमी आ जाती है.

 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा है कि वे चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी करते रहें.

कीट लगे तो प्रति एकड़ 3-4 फीरोमोन ट्रैप खेतों में लगाएं. गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक का भी ध्यान रखें.

कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथिन के थैलों में भर कर पाली घरों में रखें.

इस मौसम में तैयार बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं. पालक, धनिया, मेथी की बुवाई भी किसान कर सकते हैं.

 

गाजर का बीज बनाने के लिए उपयुक्त समय

कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि यह मौसम गाजर का बीज बनाने के लिए उपयुक्त है.

इसलिए जिन किसानों ने फसल के लिए उन्नत किस्मों की उच्च गुणवत्ता वाले बीज का प्रयोग किया है तथा फसल 90 से 105 दिन की होने वाली है, वे जनवरी माह में खुदाई करते समय अच्छी, लंबी गाजर का चुनाव करें, जिनमें पत्ते कम हो.

इन गाजरों के पत्तों को 4 इंच का छोड़कर उपर से काट दें. गाजरों का भी उपरी 4 इंच हिस्सा रखकर बाकी को काट दें.

अब इन बीज वाली गाजरों को 45 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में 6 इंच के अंतराल पर लगाकर पानी लगाएं.

 

प्याज की रोपाई करें किसान

किसान इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई कर सकते हैं. रोपाई वाले पौध छह सप्ताह से ज्यादा की नहीं होने चाहिए.

पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करें. रोपाई से 10-15 दिन पहले खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें.

20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-70 किलोग्राम फास्फोरस तथा 80-100 किलोग्राम पोटाश आखिरी जुताई में ड़ालें.

पौधों की रोपाई अधिक गहराई में न करें तथा कतार से कतार की दूरी 15 सेंटीमीटर रखें और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें.

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