फसल अवशेषों को न जलाएं
उसका प्रबंधन कर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं
उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने बताया कि जिले में खरीफ फसलों की कटाई प्रारंभ हो गई है।
प्रायः यह देखा जाता है, कि किसान भाई फसल काटने के पश्चात् आगामी फसल के लिये खेत तैयार करने और अपनी सुविधा के लिये खेत में आग लगाकर तने के डंठल व फसल अवशेष को नष्ट कर देते हैं जबकि नरवाई जलाने से विभिन्न तरह के नुकसान होने की परिस्थिति निर्मित होती है।
जिले के सभी किसानों से अपील है कि फसल अवशेषों (नरवाई) को नहीं जलायें और इसका प्रबंधन करते हुये उसे रोटावेटर एवं अन्य कृषि यंत्रों के माध्यम से भूमि में मिलाकर भूमि के जीवांश पदार्थ की मात्रा में वृद्धि कर भूमि की उर्वरा शक्त्ति को बढ़ायें।
उत्पादन में कमी आ जाती
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंडला द्वारा बताया गया कि नरवाई में आग लगाने से खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते है।
जससे भूमि की उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है और उत्पादन में कमी आ जाती है।
खेत में पड़े फसलों के अवशेष जैसे भूसा, डंठल, कड़वी सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते है।
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