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अद्भुत है नई फसल कुमकुम भिंडी

 

किसानों की बंपर कमाई तो होगी

 

खाने वालों की सेहत भी सुधरेगी

 

कुमकुम भिंडी की बुवाई का आदर्श समय फरवरी से शुरू होकर अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक होता है.

इसे नवंबर के आसपास भी कहीं बोया जा सकता है, दिसंबर-जनवरी में वृद्धि कम होगी, लेकिन फरवरी से फल आना शुरू हो जाएंगे, जो नवंबर तक उपलब्ध रहेंगे.

 

जब भिंडी ‘लाल’ हो जाती है तो वह लाभकारी और पौष्टिक भी हो जाती है.

भिंडी की नई लाल किस्म, जिसे ‘कुमकुम भिंडी’ के नाम से जाना जाता है, उत्तर प्रदेश में उगाई जाने वाली एक अद्भुत फसल है जो किसानों की आय को भी दोगुना कर सकती है.

 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ‘कुमकुम भिंडी’ में 94 फीसदी पॉलीअनसेचुरेटेड फैट होता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है.

इसके साथ ही इसमें 66 फीसदी सोडियम की मात्रा हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मददगार होती है.

वहीं इसका 21 फीसदी आयरन एनीमिया की संभावना को कम करता है और 5 फीसदी प्रोटीन शरीर के मेटाबॉलिक सिस्टम को ठीक रखता है.

 

शुगर भी करता है कंट्रोल

हापुड़ के अनवरपुर निवासी उमेश सैनी और सीतापुर के रामपुरबेह के मुरली लाल भिंडी की खेती से खुश हैं.

सैनी ने कहा, “गांव में हर कोई अब इस मौसम में इसकी खेती का रकबा बढ़ाने के बारे में सोच रहा है.”

आचार्य नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के कुलपति बिजेंद्र सिंह के अनुसार, भिंडी की इस लाल किस्म में एंथोसायनिन और फेनोलिक्स होते हैं जो इसके पोषण मूल्य को बढ़ाते हैं.

इसमें मौजूद क्रूड फाइबर शुगर को कंट्रोल करता है. इसमें बड़ी मात्रा में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स भी होता है.

 

फरवरी से अप्रैल के बीच बुवाई

कुमकुम भिंडी की बुवाई का आदर्श समय फरवरी से शुरू होकर अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक होता है.

इसे नवंबर के आसपास भी कहीं बोया जा सकता है, दिसंबर-जनवरी में वृद्धि कम होगी, लेकिन फरवरी से फल आना शुरू हो जाएंगे, जो नवंबर तक उपलब्ध रहेंगे.

शुरुआती फसलों के दाम भी अच्छे हैं. थोक बाजार में हरी भिंडी की कीमत 12 से 15 रुपए प्रति किलो के बीच है.

जबकि लाल भिंडी 45 रुपए से 80 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रही है क्योंकि लोग इसे सुपरफूड की तरह देख रहे हैं.

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