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लगाएं जायद में मूंगफली

 

बुनियादी ढांचे और खेती पर केन्द्रित

 

तिलहनी फसलों के मुकाबले मूंगफली एक ऐसी फसल है, जो भारत के 40 प्रतिशत क्षेत्र में उगाई जाती है। मूंगफली के बीज में 45 प्रतिशत तेल तथा 26 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा पायी जाती है। जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायी होते हैं ।

 

भूमि का चयन एवं तैयारी 

मूंगफली की खेती के लिये दोमट, बलुआर दोमट या हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। गर्मियों में मूंगफली, आलू, मटर, सब्जी मटर तथा राई की कटाई के बाद खाली खेतों में सफलतापूर्वक की जा सकती है।

मूंगफली के लिये भारी दोमट मिट्टी का चयन न करें। खेत की तैयारी अच्छी प्रकार से कर लें 2-3 जुताई कल्टीवेटर से कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें तथा जुताई के बाद पाटा लगाकर खेत समतल कर लें।

इसके बाद कम अवधि में पकने वाली गुच्छेदार प्रजातियों का चयन करें जिसमें डीएच 86, आर-9251, आर 8808 आदि किस्मों का चयन किया जा सकता है।

ध्यान रखें बीज का चयन रोग रहित उगायी गई फसल से करें। ग्रीष्मकालीन मूूंगफली के लिये 95-100 किग्रा की दर से बीज दर प्रति हेक्टेयर उपयोग करें।

 

बीजोपचार

बीज को बोने से पूर्व थायरम 2 ग्राम+ कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति किेलो बीजदर से उपचारित कर लें। फफंूदनाशक दवा से उपचार के बाद 1 पैकेट राइजोबियम कल्चर को 10 किग्रा बीज में मिलाकर उपचार करें।

 

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बुवाई की विधि

खेत में पर्याप्त नमी के लिये पलेवा देकर जायद में मूंगफली की बुवाई करें। यदि खेत में नमी उचित नहीं होगी तो मूंगफली का जमाव अच्छा नहीं होगा। गुच्छेदार प्रजातियां खेती के लिये उपयुक्त रहती हैं।

इसलिये बुवाई 25-30 सेमी की दूरी पर देशी हल से खोले गये कूंडों में 8-10 सेमी की दूरी कर करें। बुवाई के बाद खेत में क्रास लगाकर पाटा लगा दें।

 

बुवाई का समय

5 मार्च से 15 मार्च तक बुआई कर लें। देरी से बुवाई करने पर वर्षा प्रारंभ होने की दशा में खुदाई के बाद फल्लियों की सुखाई में कठिनाई होती है।

 

खाद एवं सिंचाई

यूरिया 45 किलो, सिंगल सुपरफास्फेट 150 किलो व म्यूरेट ऑफ पोटाश 60 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। मूूंगफली में नत्रजन की अधिक मात्रा का उपयोग न करें अन्यथा यह मूंगफली की पकने की अवधि बढ़ा देगा।

पलेवा देकर बुवाई के बाद पहली सिंचाई 20 दिन बाद करें। दूसरी सिंचाई 30-35 दिन पर तीसरी सिंचाई 50-55 दिन पर करें।

 

खुदाई व भण्डारण

खुदाई तभी करें जब मूंगफली के छिलके के ऊपर नसेें उभर आयें, भीतरी भाग कत्थई रंग का हो जाये व मूंगफली का दाना गुलाबी रंग का हो जाये। खुदाई के बाद फलियों को छाया में सुखाकर रखें।

 

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source : krishakjagat

 

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