किसानों को होगा फायदा
मध्यप्रदेश में सेवा सहकारी संस्थाओं लाखों किसानों को प्रदेश सरकार बड़ी राहत देने वाली है। इससे किसानों को बड़ा फायदा होगा.
मध्य प्रदेश के लाखों किसान प्रदेश की प्राथमिक सेवा सहकारी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।
इन संस्थाओं के द्वारा ही किसानों को खाद बीज मिलता है।
इतना ही नहीं सेवा सहकारी संस्थाओं से बिना ब्याज पर खेती की जरूरत के लिए नगद राशि सरकार द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड के रूप में दी जाती है।
वर्तमान में सेवा सहकारी संस्थाओं से किसानों को कुछ परेशानी भी उठानी पढ़ रही थी।
मध्य प्रदेश सरकार ने इसका समाधान निकाला है। सरकार ने सेवा सहकारी संस्थाओं को लेकर बड़ा फैसला लिया है।
सहकारी समितियों को लेकर सरकार ने यह लिया फैसला
मध्य प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करने के लिए प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का परिसीमन किया जाएगा।
इसमें समितियों के क्षेत्र नए सिरे से निर्धारित होंगे। जिस गांव के पास जो समिति होगी, उससे ही किसानों को जोड़ा जाएगा।
इससे किसानों का यह फायदा होगा कि उन्हें खाद बीज के लिए अन्यत्र गांव गांव में स्थित सेवा सहकारी संस्थाओं में नहीं जाना पड़ेगा।
संस्थाओं से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ा जाएगा
ऐसी समितियां, जिनका वार्षिक व्यवसाय तीन करोड़ रुपये से कम है, उन्हें नए सदस्यों को जोड़ने के साथ अन्य गतिविधियां संचालित करने की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
साथ ही समितियों की आय बढ़ाने के लिए उचित मूल्य की राशन दुकानों को बहुद्देश्यीय दुकानों में परिवर्तित करने, गोदाम बनाने, प्रसंस्करण केंद्र संचालित करने सहित अन्य कार्यों से जाेडा जा रहा है।
इसके लिए कुछ समितियों के विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन भी तैयार करवाए गए हैं।
इन्हें कृषि अधोसंरचना निधि के माध्यम से बैंकों से ऋण दिलाया जाएगा।
सरकार की इस कवायद को करने के पीछे मंशा समितियों की आर्थिक सेहत सुधारने की है।
दरअसल, कई समितियों की स्थिति अच्छी नहीं है। इसे देखते हुए आर्थिक रूप से कमजोर समितियों को अन्य समितियों से संबद्ध किया जाएगा।
50 लाख से अधिक किसान संस्थाओं से जुड़े हैं
गौरतलब है कि प्रदेश में 4548 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां हैं। इनसे 50 लाख से अधिक किसान जुड़े हैं।
समितियां किसानों को ब्याज रहित ऋण उपलब्ध कराने के साथ खाद-बीज का वितरण, गेहूं व धान का उपार्जन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण का काम करती हैं।
अब इन्हें सशक्त बनाने के लिए अन्य कार्यों से भी जोड़ा जा रहा है। सहकारी नीति में इसके लिए प्रविधान किए जा रहे हैं।
परिसीमन के लिए यह मापदंड रहेगा
संयुक्त पंजीयक अरविंद सिंह सेंगर ने बताया कि समिति के परिसीमन के लिए जो मापदंड तय किए हैं, उसमें समिति के कार्यक्षेत्र में कम से कम पांच हजार हेक्टेयर भूमि, तीन करोड़ रुपये का वार्षिक व्यवसाय और कम से कम एक हजार सदस्य होने चाहिए।
इस आधार पर प्रस्ताव बनेंगे और समितियों के क्षेत्र निर्धारित होंगे।
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