घटेगी खेती की लागत
जीरा एक ऐसा मसाला है, जो भोजन के स्वाद को बिखरने नहीं देता है.
भारत विश्व का सबसे बड़ा जीरा उत्पादक देश है. दुनियाभर का लगभग 70 प्रतिशत जीरा उत्पादन भारत में होता है. एपीडा के अनुसार, भारत के 2 राज्य गुजरात और राजस्थान में सबसे बड़े जीरा उत्पादन किया जाता है.
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बता दें कि गुजरात में 55.95 प्रतिशत और राजस्थान में 43.97 प्रतिशत उत्पादन होता है. यहां बड़े हिस्सों में जीरे की खेती की जाती है, लेकिन पिछले कई साल से किसान जीरा की खेती में पुरानी किस्मों की बुवाई करते आ रहे हैं.
इससे फसल में कई तरह के रोग-कीट लग जाते हैं, जो कि फसल के उत्पादन पर गहरा प्रभाव डालता है. किसानों की इस समस्या को खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों ने जीरा की एक नई किस्म विकसित की है.
इस किस्म से फसल का ज्यादा उत्पादन प्राप्त होगा, तो आइए आपको जीरे की इस नई किस्म के बारे में बताते हैं.
जीरे की नई किस्म
केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा जीरा की नई किस्म ‘सीजेडसी-94’ विकसित की गई है. आमतौर पर जीरा की फसल को तैयार होने में 130 से 140 दिन का समय लग जाता है.
मगर जीरे की इस नई किस्म से 90 से 100 दिन में फसल तैयार हो जाएगी. जानकारी के लिए बता दें कि वैज्ञानिकों ने पुरानी और नई किस्म का एक साथ ट्रायल किया.
इसके लिए नवंबर 2020 को पुरानी किस्म ‘जीसी-4’ और ‘सीजेडसी-94’ की बुवाई आस-पास की गई. इसके बाद लगभग 100 दिन बाद पुरानी किस्म में फूल आना शुरू हुए, लेकिन नई किस्म पूरी तरह से तैयार हो गई थी.
सीजेडसी-94 किस्म की खासियत
मौजूदा समय में अधिकतर किसान जीरा की किस्म ‘जीसी-4’ की खेती करते हैं. यह किस्म को तैयार होने में 130 से 140 दिन लग जाते हैं. मगर जीरे की नई किस्म 100 दिन में तैयार हो जाएगी.
बता दें कि जीरे की पुरानी किस्म में लगभग 70 दिनों में फूल आते थे, लेकिन नई किस्म में 40 दिन में ही फूल आ जाते हैं. इस किस्म को विकसित करने के लिए लगभग 3 साल से शोध पर काम किया जा रहा था.
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सीजेडसी-94 किस्म में नहीं लगेंगे रोग-कीट
जीरा की खेती में ज्यादा समय लगता है, इसलिए इसमें कई तरह के रोग-कीट लग जाते हैं. मगर नई किस्म में रोग-कीट नहीं लगेंगे.
इसी तरह पुरानी किस्म में फरवरी के आखिर में माहू कीट का फ्रकोप हो जाता है, क्योंकि उसम समय फूल लगते हैं. मगर नई किस्म में फरवरी के अंत तक फल लग जाते हैं.
सीजेडसी-94 किस्म की बुवाई
किसान जीरा की बुवाई छिड़काव विधि से कर सकते हैं, लेकिन इस विधि में बीज ज्यादा लगता है. अगर किसान लाइन में बुवाई करते हैं, तो बीज की मात्रा आधी हो जाएगी. इसके साथ ही लाइन से बुवाई करने पर निराई-गुड़ाई में कम समय लगता है. इससे मजदूरी का खर्च कम हो जाता है.
कीटनाशक का छिड़काव
जीरा में 3 बार कीटनाशक के छिड़काव की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन नई किस्म पहले तैयार हो जाएगी, इसलिए इसमें तीसरी बार छिड़काव करने की आवश्यकता नहीं होगी. इसके साथ ही पानी की बचत भी हो जाएगी.
किसानों की लागत लगेगी कम
इसकी बुवाई से किसानों की लागत में काफी कमी आई है. किसानों के लिए जीरा की खेती करना काफी मुश्किल होता है. अब 30 दिन पहले फसल तैयार हो जाएगी, जिससे किसानों की थोड़ी परेशानी भी कम हो जाएगी.
आपको बता दें कि इस नई किस्म का केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) ने जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर में ट्रायल किया है. देश के दूसरे हिस्सों में भी इस किस्म का ट्रायल किया जाएगा, जिसके बाद लगभग 2 साल में नई किस्म किसानों के लिए उपलब्ध हो जाएगी.
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स्त्रोत : कृषि जागरण
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