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धान की खेती छोड़ किसान ने अपनाई नींबू की खेती

बालाघाट 

एक दर्जन मजूदरों को मिल रहा रोजगार

 

धान उत्पादित बालाघाट जिले में धान की खेती में घाटे के सौदे से उभरने के लिए एक किसान ने परंपरागत कृषि को बल देने के लिए देसी नींबू की खेती को अपनाया है।

इस खेती को करने हॉर्टिकल्चर विभाग की तरफ से बेंगलुरु में एक सप्ताह तक प्रशिक्षण लिया। नतीजा यह है कि दस साल के भीतर में नींबू की अच्छी फसल मिलने से दूसरे लोगों को रोजगार दिलवा रहा है और उन्नात किसान बन गया है।

हम बात कर रहे है लालबर्रा तहसील में कामठी व मानपुर गांव के रहने वाले किसान शेरसिंह देशमुख की। जिनके द्वारा अपनी पांच एकड़ खेती में देसी नींबू खेती की जा रही है।

अब यहां का नींबू पटना, बिहार, बेंगलुरु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक सहित तीन राज्यों में मशहूर हो गया है।

 

कामठी के किसान शेरसिंह देशमुख 41 वर्ष बताते है कि उसने कक्षा 12वीं कृषि संकाय से पढ़ाई की है उनका खेत मानपुर में है। पहले वे धान की खेती करते आ रहे थे।

इस बीच उन्नात किस्म की धान लगाने के बाद भी कई बार बीमारी की वजह से उपज कम हो रही थी। धान की फसल ज्यादा पानी वाली फसल होने के साथ मेहनत अधिक लगती है, परंतु लाभ कम मिलता है।

 

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जिसके चलते कृषि विभाग के हॉर्टिकल्चर के अधिकारियों से संपर्क किया। वर्ष 2007 में बेंगलुरू में रेशम की खेती करने जिले से अकेला किसान चयनित होकर गया था वहां पर पास में ही नींबू की खेती का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा था।

उसमें भी भाग लेकर खेती करने के तौर तरीके सीखे। उसके बाद लौटते ही देसी नींबू के बीज से पौधे तैयार करना शुरू किया और अब पांच एकड़ खेत में नींबू की खेती से लहलहा रही है।

इस खेती में मेहनत कम और हर साल अच्छा मुनाफा हो रहा है। जिससे वह अपनी जरूरतों व परिवार के गुजारे के लिए किसी की मदद के आसरे नहीं है आत्मनिर्भर और समृद्ध किसान बन गया है।

 

व्यापारी खुद आते है नींबू लेने

बालाघाट के अलावा पटना, बिहार, बेंगलुरु, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के व्यापारी नींबू खरीदने पहुंचते है।

दस साल में देसी नींबू ने मानपुर लालबर्रा की एक अलग पहचान बना ली है। हालांकि अभी लाकडाउन की वजह से नींबू परिवहन में परेशानी नहीं हो पा रहा है।

 

फोकस पॉइंट

  • वर्ष 2007-08 से की थी शुरूआत।
  • चार साल तक पौधों की खूब देखभाल।
  • पांच एकड़ खेत में लगाए है 430 देसी नींबू के पेड़।
  • हर साल 1200 से 1500 क्विंटल होता है उत्पादन।
  • हर साल हो रहा है 12 से 14 लाख रुपये तक की आय।
  • एक पौधे को चार साल तक आया 250 रुपये खर्च।
  • एक नींबू का पेड़ 30 से 35 वर्ष तक देता है भरपूर फल।
  • नींब के पेड़ में गोबर का डालते है खाद।
  • साल भर एक दर्जन लोगों को मिल रहा रोजगार।

 

इनक कहना

किसानों को धान के साथ नकदी फलों वाली खेती भी अपनानी चाहिए। इससे अच्छा मुनाफा मिलने के साथ आर्थिक हालत में सुधार आता है।

मानपुर लालबर्रा में एक किसान नींबू की खेती कर अच्छी आमदानी प्राप्त कर दूसरों को रोजगार दिलवा रहा है इससे अन्य किसानों को प्रेरणा लेने की जरूरत है।

 

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source : naidunia

 

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