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अजवाइन की खेती से किसान हो सकते हैं मालामल

 

अच्छी किस्म और बोने की सही विधि

 

अजवाइन की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस खबर में हम अजवाइन के खेती के बारे में जानेंगे.

 

अजवाइन मसालों की एक जरूरी फसल है. दुनियाभर में इसे पसंद किया जाता है. इसका वानस्पतिक नाम टेकिस्पर्मम एम्मी है.

इसकी खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस खबर में हम अजवाइन के खेती के बारे में जानेंगे.

 

फसल उत्पादन

  • फसल ज्यामिति:  कतार से कतार की दूरी 45 से.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 20 से 30 से.मी.
  • खाद एवं उर्वरक:  8-10 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद अथवा कम्पोस्ट को बुआई से एक माह पहले खेत में अच्छी तरह मिला देना चाहिए. 90 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फॉस्फेट तथा 30 किलोग्राम पोटाश. नाइट्राेजन की आधी मात्रा एवं फॉस्फोरस तथा पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा अन्तिम जुताई के समय खेत मे मिला देनी चाहिए और शेष  मात्रा बुआई के 30 से 60 दिन बाद टॉपड्रेसिंग के रूप में सिंचाई के साथ देना चाहिए.
  • सिचांई: 4 से 5 सिंचाई 15 से 25 दिनों के अन्तराल में मिट्टी एवं मौसम के अनुसार.
  • खरपतवार नियंत्रण: ऑक्सीडाइआर्जिल का बुआई के बाद तथा बीज अंकुरण से पहले 75 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए इसके बाद बुवाई के 45 दिन बाद गुड़ाई करनी चाहिए.
  • उत्पादन: सिंचित क्षेत्र में 12-15 और असिंचित क्षेत्र 4-6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर.

 

फसल सुधार

  • उपयुक्त जलवायु: अच्छे पौध विकास एवं पुश्पन के लिए मध्यम ठंडा एवं शुष्क जलवायु इसकी कृषि के लिए अनुकूल होता है.
  • मृदा का चयन: 6.5 से 7.5 पीएच मान तथा दोमट मृदा, जिसमें उचित जल निकास एवं पर्याप्त कार्बनिक पदार्थ उपलब्ध हों इसकी खेती के लिए उपयुक्त है.
  • बीज की उन्नत:  प्रजातियां गुजरात अजवाइन-1, अजमेर अजवाइन-1, अजमेर अजवाइन-2, प्रताप अजवाइन-1
  • बुवाई का समय: सितंबर से अक्टूबर रबी की फसल के लिए तथा जुलाई से अगस्त खरीफ फसल के लिए उपयुक्त माना जाता है.
  • बीज दर:  2.5 से 3.5 किलोग्राम रबी सीजन और 4-5 किलोग्राम खरीफ सीजन बीज प्रति हैक्यटर।
  • बीज उपचार:  कार्बन्डेजिम/केप्टान/ थिरम 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के द्वारा बुवाई पूर्व बीज को उपचारित करना चाहिए.

 

फसल संरक्षण
  • छाछ्या रोग:  20 से 25 किलोग्राम सल्फर का खड़ी फसल पर भुरकाव करना चाहिए या 0.2 प्रतिशत घुलनशील सल्फर का छिड़काव करना चाहिए.
  • जड़ गलन: थाईरेम या केपटन 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार.
  • माहू या एफिड: डॉइमेथोएट 0.03 प्रतिशत  ओर इमेडाक्लोरॉफीड 0.003 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिए.

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